काउसलिंग के नाम अवैध बसूली

शिवपुरी। जिले भर में शिक्षा विभाग द्वारा चलाई जा रही शिक्षकों की पदोन्नती प्रक्रिया में कर्ई पेच सामने दिखने को मिल रहे हैं। क्योंकि वर्तमान जो शिक्षक इस पात्रता में आते हैं उनके नाम सूची कोसों दूर तक नजर ही नहीं आ रही हैं और वरिष्ठता को नजर अंदाज कर कनिष्टों को सूची में वरिष्ठता से नवाजा जा रहा है। 

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जबकि शिक्षकों के सभी सभी प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग में मौजूद होने के बाद भी काउसलिंग के समय उनकी पुन: जांच कराना और उनका सत्यापन करना प्रक्रिया को संदेहजनक बनाता है। संबंधित कर्मचारी को नियुक्ति देते समय उसके समस्त आवश्यक प्रमाण पत्रों की जांच कर ली जाती है। यहां तक की पुलिस चरित्र सत्यापन तक करा लिया जाता है तो फिर पदोन्नति के समय यह सभी प्रक्रिया पुन: क्यों कराई जाती है। 

इससे साफ प्रतित होता है कि अनावश्यक दवाब बनाकर मनमाफिक जगहों पर पदस्थ करने के नाम पर धन अर्जित करना रहता है। काउसलिंग में जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है वह सभी कर्मचारी शिक्षा अधिकारी के मुंह लगे लोग ही रहते हैं। वर्तमान में जो काउसलिंग प्रक्रिया चालू हैं उस पर यदि नजर दौड़ाई जाये तो इस पर भी कर्मचारी संगठनों नों गहन आपत्ति विगत समय में दर्ज कराई गई है। पदों की संख्या को लेकर शिक्षकों में असंतोष का गुबार साफ दिखाई दे रहा है। 

आरटीई के तहत विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची में जो पदों की संख्या रिक्त बताई गई है। उस पर शिक्षकों को पदोन्नति न देकर अपेक्षाकृत रिक्त पदों को गोलमोल अंदाज में कम बताकर चुपचाप में अपने चहते लोगों को अन्य रिक्त पड़े पदों पदस्थ करने षड्यंत्र रचा जा रहा है। इससे शिक्षा विभाग के शिक्षकों में भारी रोश व्याप्त है और वह जिला शिक्षा अधिकारी के विरूद्ध आंदोलन करने का मन बना रहे हैं।