वीरेन्द्र का खालिस्थान भरने के लिए हरिबल्लभ ने दिऐ संकेत

शिवपुरी। अभी हाल ही विधान सभा चुनाव हारे चुके वीरेन्द्र रघुवंशी ने अपनी हार का ठीकरा अप्रत्यक्ष रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया के सर पर फोड़ा है। वीरेन्द्र रघुवंशी सिधिया निष्ठ माने जाते थे,लेकिन अब वीरेन्द्र रघुवंशी के लोकसभा चुनाव में सिंधिया के खिलाफ काम करने का बयान भी ऐलान सार्वजनिक रूप से कर चुके है। इस कारण वीरेन्द्र के खालिस्थान का भरने के लिए हरिबल्लभ शुक्ला संकेत दे रहे है।

यहां विधानसभा चुनाव में वह यशोधरा राजे सिंधिया के विरूद्ध और लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ लड़ चुके हैं और खास बात यह है कि वह दोनों के खिलाफ लगभग साढ़े छह हजार मतों से ही पराजित हुए हैं। सिंधिया परिवार के खिलाफ हारने वालों में उनकी हार सबसे कम अंतर की है।

विधानसभा चुनाव के बाद उपजी खटास के कारण शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस नेतृत्व में एक शून्य का वातावरण निर्मित हो गया है। लोकसभा चुनाव की दृष्टि से जिला मु यालय की सीट काफी महत्वपूर्ण है और इस शून्य का परिणाम यह है कि श्री सिंधिया ने जिले में लोकसभा चुनाव के लिए जिन प्रभारियों की नियुक्ति की है। वे सभी बाहरी हैं जिनका क्षेत्र में कोई प्रभाव नहीं है। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी निराशा है और वहीं यह संदेश भी प्रसारित हो रहा है कि भाजपा की मजबूत चुनौती के कारण कांग्रेस में घबराहट है।

इससे निपटने के लिए ऐसे संकेत मिले हैं कि शिवपुरी में हरिवल्लभ शुक्ला को सक्रिय किया जा सकता है और श्री शुक्ला ने भी ऐसी ही इच्छा दशाई है। पिछले दिनों गुना संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के प्रभारी प्रताप भानु शर्मा जब शिवपुरी आए तब हरिवल्लभ ने अपने निवास स्थान पर उनका स्वागत करते हुए घोषणा की कि फरवरी माह में सर्व ब्राह्मण समाज श्री सिंधिया और नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे का स्वागत करेगा। श्री कटारे से भी हरिवल्लभ की नजदीकियां हैं और ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में गुना सीट पर हरिवल्लभ को महत्वपूर्ण भूमिका मिलेगी।

हरिवल्लभ ने 2004 के  लोकसभा चुनाव में पिछोर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगभग 16 हजार मतों से पीछे छोड़ा था और शिवपुरी में भी उन्होंने मजबूत चुनौती पेश की थी। उस चुनाव में हरिवल्लभ को भाजपा उ मीदवार पूर्व मु यमंत्री उमा भारती ने बनवाया था। इस बार उमा भारती के स्वयं चुनाव लडऩे की अटकलें लग रही हैं। ऐसे में हरिवल्लभ को कमान सौंपे जाने से कांग्रेस के प्रचार अभियान में आक्रामकता आ सकती है ऐसा राजनैतिक पर्यवेक्षकों का मानना है।