मीठे शब्द नहीं बोल सकते तो मौन रहना ही अच्छा है : मुनि कुंथुसागर

शिवपुरी-ऐसा तो हम सभी लोग हमेशा सुनते आ रहे हैं कि सांच के बराबर कोई तप नहीं होता और झूठ से बड़ा कोई पाप नहीं होता। हमेशा सत्य की जीत होती है, असत्य हमेशा हरता ही है क्योंकि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन कभी पराजित नहीं होता ।
लेकिन सत्य क्या वस्तु है इसे अमल में लाना बहुत कठिन है । सत्य का अर्थ होता है कि हितमित प्रिय वचन बोलना एवं ऐसा सत्य नहीं बोलना कि किसी दूसरे पर आपत्ति आ जाये, किसी दूसरे का अहित हो जाये क्योंकि जिस सत्य के बोलने से किसी का अहित हो जाये वह सत्य, सत्य न कहलाकर असत्य ही हो जात है। क्योंकि दूसरे को तकलीफ देना, दूसरे का अहित करना ही तो असत्य है और दूसरे व्यक्ति को बचाना उसका अहित करना, यह सबसे बड़ा सत्य है ।

जो व्यक्ति हितमित प्रिय वाणी बोलता है उसके संसार में हजारों मित्र बनते हैं और जो व्यक्ति कटु वचन बोलता है उसका हजारों दुश्मन तैयार हो जाते हैं । वाणी ही एक ऐसा उपाय है जिसके माध्यम से हम लाखों काहित कर सकते हैं और वाणी ही एक ऐसा शस्त्र है जिससे हम लाखों का अहित करसकते हैं । शब्द वाणी से मृतप्राय व्यक्ति भी जीवित हो उठता है क्योंकि सांत्वना के शब्द एक दु:खी व्यक्ति के लिए औषधि से कम नहीं होते और कटु शब्द जहर से कम नहीं होते । इसलिए बोलना तो एक कला है लेकिन मौन रहना उससे भी बड़ी कला है । 

यदि हम मीठे शब्द नहीं बोल सकते तो मौन रहना ही अच्छा है। बोलो तो मीठा बोले वरना मुख मत खोलो । विभीषण ने सत्य का साथ देने के लिए अपने भाई का साथ छोड़ा था वह जानता था कि मेरा भाई सत्य को देखते हुए, समझते हुए भी अमल में नहीं ला पा रहा है इसलिए मैं भाई को छोड़ सकता हॅंू लेकिन सत्य को नहीं छोड़ सकता क्योंकि महापुरूषों का यही धर्म होता है कि एक धर्म की रक्षा के लिए तन, मन धन और परिवार सब कुछ न्यौछावर कर सकते हैं । यदि वृक्ष में मधुर फल लगे हों तो कौन मूर्ख व्यक्ति होगा जो कड़वे फल खाना पसंद करेगा । ठीक उसी प्रकार यदि हमारे पास मधुर वचन हैं और यदि हम कड़वे वचनों का उपयोग करते हैं तो समझना इससे बड़ी मूर्खता कुछ नहीं हो सकती ।

 वही शब्द हैं जिनसे गाली भी बन सकती है और गीत भी बन सकता है, हम जो चाहें वह बना सकते हैं । एकबात अवश्य याद रखें कि यदि पैर फिसलता है तो हडडी टूटती है लेकिन जुबान फिसलती है तो रिश्ते टूटते हैं, परिवार टूटता है, समाज टूटता है । इसलिए अपने जीवन को अपने व्यक्तित्व को, उज्ज्वल बनाना चाहते हो तो भले दो शब्द बोले लेकिन प्रेम से बोले, धीमे बोले और मीठे बोले ।