जनता दरबार में मसल्स पॉवर का शर्मनाक प्रदर्शन

शिवपुरी। चुनावी बेला में जनप्रतिनिधियों से सवाल-जवाब करने की पहल हेतु आहुत जनता दरबार में लोकतंत्र का शर्मनाक नजारा देखने को मिला। डेढ़ घंटे तक चले कार्यक्रम में कभी माहौल सौहार्दपूर्ण नहीं रहा। बाहें तानी गईं, एक-दूसरे को धौंस दी गई। व्यक्तिगत टीका-टिप्पणियां और छींटाकसी की गई।

सवाल तो पूछे गए, लेकिन उनका जवाब सुनने की पहल इसलिए नहीं हुई क्योंकि दर्शक दीर्घा में दर्शक थे ही कहां? उनके स्थान पर नेताओं के पट्ठों का कब्जा था जिनमें भी भाजपाईयों की संख्या अधिक थी। हर समय यही लगता रहा कि किसी भी क्षण मसल्स पॉवर का नग्र प्रदर्शन देखने को मिल सकता है। कार्यक्रम समाप्त होते-होते तो हालत बहुत बिस्फोटक हो गई। जब पूर्व विधायक रघुवंशी को निशाना बनाकर पानी के पाऊच फेंके गए इसके बाद  कांग्रेसी तथा भाजपाई एक-दूसरे के खिलाफ उग्र नारेबाजी करने लगे।

नपाध्यक्ष श्रीमती रिशिका अष्ठाना तो आमंत्रण के बावजूद इस कार्यक्रम में नहीं आईं और उनके पति तथा भाजपा नेता अनुराग अष्ठाना ने कमान संभाली। विधायक माखनलाल राठौर काफी बिलंब के पश्चात कार्यक्रम में पहुंचे। कार्यक्रम में जहां भाजपा की ओर से तीन-तीन नेता विधायक माखनलाल राठौर, अनुराग अष्ठाना, भरत अग्रवाल मौजूद थे। वहीं आयोजकों ने कांगे्रस की ओर से अकेले पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी को बुलाया और वे फिर भी पूरे समय जूझते रहे। इनके अलावा अभिभाषक संजीव बिलगैयां, समाजसेवी डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता और शैला अग्रवाल तथा वरिष्ठ पत्रकार अशोक कोचेटा भी मंचासीन थे जो मंच का नजारा देखकर काफी हैरान नजर आए। डॉ. गुप्ता ने प्रतिक्रिया व्यक्त की कि यदि यही लोकतंत्र है तो यह अस्वीकार है जबकि अभिभाषक बिलगैयां की  काफी तीखी प्रतिक्रिया थी कि संभल जाओ अन्यथा दोनों को छोड़कर जनता तीसरे को चुन लेगी।

 कु. शैला अग्रवाल बोलीं कि यहां आकर बड़ी निराशा और दुख अनुभव हो रहा है तथा गुस्सा भी आ रहा है। जहां तक संचालन की बात है पत्रकार अतुल गौड ने अपने स्तर पर  बेहतर संचालन किया। लेकिन अपनी सज्जनता के कारण अनेक मौकों पर वह बेबस नजर आए। सवाल का जवाब किसी को देना था, लेकिन दे कोई रहा था। सवालों से बचने के लिए भाषणबाजी के प्रयास भी हुए जिसका विरोध मंच से ही पूर्व विधायक रघुवंशी ने अनेक बार किया। पहले ही सवाल पर विरोध चरमसीमा पर पहुंच गया जब श्री रघुवंशी ने सिंध परियोजना का श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया और आरोप लगाया कि भाजपा इसका झूठा श्रेय बटोर रही है। इसका जोरदार प्रतिवाद अनुराग अष्ठाना ने किया।

 दोनों में से कोई यह मानने को तैयार नहीं था कि दूसरे की भी इस महत्वपूर्ण योजना में कम ही सही सार्थक भूमिका अवश्य है। विवाद जब गहराया तो पत्रकार अशोक कोचेटा ने राय व्यक्त की कि सिंध परियोजना केन्द्र सरकार की है, लेकिन क्रियान्वयन ऐजेंसी प्रदेश सरकार है। कैसे कांग्रेस अथवा भाजपा के सहयोग बिना यह योजना पूरी हो जाती। कार्यक्रम में गिनेचुने सार्थक सवाल पूछे गए। मसलन विधायक से जाना गया कि वह अपने कार्यकाल की कोई चार उपलब्धियां बताएं। लेकिन उस प्रवीणता से वह अपना पक्ष स्पष्ट नहीं कर सके। सीवेज प्रोजेक्ट पर भी बबाल भड़का और श्री रघुवंशी ने कहा कि यह योजना श्री सिंधिया की देन है तो अनुराग का जवाब था कि इस योजना से तो शहर के विकास पर ही रोक लग गई थी।

श्री रघुवंशी ने जहां नगरपालिका के भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाकर भाजपा को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की वहीं भाजपाईयों ने सवाल दागा कि चुनाव के बाद श्री रघुवंशी ने पानी के मुफ्त टेंकरों का वितरण क्यों रोक दिया? जनता की ओर से एक अच्छा सवाल अवश्य आया जिसमें पूछा गया था कि अतिक्रमण विरोधी अभियान में गरीबों के आशियाने उजड़ जाते हैं, लेकिन महलों की बारी आती है तो अचानक यह अभियान थम जाता है, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं आया।

होमवर्क करो बरना बंद करो जनता दरबार

जनता दरबार निश्चित तौर पर एक अच्छी पहल है, लेकिन जिस ढर्रे से पहला जनता दरबार हुआ उससे तो लगा कि कभी भी ऐसे दरबार में फौजदारी की गंभीर नौबत आ सकती है। दरबार किसी खास मुद्दे पर केन्द्रित होना चाहिए। मसलन नगरपालिका से जुड़ी बात हो तो सत्ता पक्ष और विपक्ष की बराबर भागीदारी के साथ-साथ निष्पक्ष जनता की सहभागिता होनी चाहिए। एंकर का नियंत्रण भी प्रबल होना चाहिए। होमवर्क के साथ-साथ उसे पता होना चाहिए कि सवाल किससे करना है और जबाव किससे लेना है। विधानसभा क्षेत्र के लिए जनता दरबार हो तो उस इलाके से टिकिट आकांक्षी नेताओं को बुलाकर उन्हें टटोलना होगा। खुली जगह के स्थान पर यदि यह किसी बंद कक्ष में हो तो अधिक ठीक रहेगा।