माधवचौक चौराहे पर माधौ महाराज की प्रतिमा शिवपुरी के लिए अशुभ: पं. विकासदीप

शिवपुरी। शहर के जाने-माने ज्योतिषविद पं.विकासदीप शर्मा मंशापूर्ण वालों के अनुसार शिवपुरी में हुए उत्सव हत्याकाण्ड के दौरान शिवपुरी के पितृपुरुष माधौ महाराज की प्रतिमा का खंडित हो जाना, एक आपराधिक नहीं बल्कि ज्योतिषीय घटना थी। नक्षत्र अब नहीं चाहते कि शिवपुरी के पितृपुरुष का और अधिक अपमान हो और वो अपने ही नगर के लिए अशुभ बने रहें।

पं.विकासदीप बताते हैं कि 4 मार्च 13 उत्सव हत्याकाण्ड में पनपे जनाक्रोश में शिवपुरी को काफी हानि उठानी पड़ी और इसमें शहर को स्थायित्व प्रदान करने वाले जिन्हें माधौ महाराज कहते है उनकी प्रतिमा को भी खण्डित किया गया। इसमें सबसे बड़ा दोष वास्तु का है क्योंकि वास्तु के अनुसार ब्रह्म स्थान मुख्य चौराहा है जिसे ब्रह्मा जी नाभि स्थल कहा जाता है यहां कै.माधौ महाराज की मूर्ति विराजमान थी और शिवपुरी के ईशोन कोण जिसे वास्तु शास्त्र में जल का स्थान दिया है।

वहां हमारे शिवपुरी में भूरा खो स्थान बना है जो जल का स्थान होने से उत्तम है आग्नेय कोण(पूर्व-दक्षिण) जो अग्नि का स्थान होता है यहां शिवपुरी में आग्नेय कोण में शमशान घाट होने से अग्निकोण उत्तम हो रहा है लेकिन जिस स्थान पर मौधा महाराज की प्रतिमा है यह स्थान महाराज की प्रतिमा के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तम नहीं है।

वहीं यदि चौराहे पर देवाधिदेव महादेव की उत्तरमुखी प्रतिमा स्थापित की जाए तो शिवपुरी की उन्नति होगी क्योंकि इस चौराहे के सभी लोग आधी परिक्रमा लगाते है हमारे शास्त्रों के अनुसार शिवजी की भी पूरी परिक्रमा नहीं लगाते।

शहर के दक्षिण में बनाई जानी चाहिए माधौ महाराज की छत्री

यहां बड़े ही सुन्दर ढंग से ज्योतिषविद् पं.विकासदीप के अनुसार वास्तु कहता है कि वास्तव में नार्थ-ईस्ट भूमिपूजन का स्थान होता है मंदिर को दक्षिण-पश्चिम या साउथ-वेस्ट में ही बनाना चाहिए, जैसे हम अपनी सबसे प्रिय चीज भगवान को अर्पित करते है उन्हें जल चढ़ाते है जबकि उनके पास तो साक्षात गंगा जी है इसी तरह भगवान को धन चढ़ाते है जबकि वह स्वयं लक्ष्मी-नारायण है घर के मुखिया का स्थान जो स्वर्गवासी हो चुके है वह स्थान दक्षिण में होना चाहिए क्योंकि वो पित्र स्वरूप होकर हमें उन्नति का मार्ग और हमें सुखी रखने का आशीर्वाद देते है चूंकि महाराज सिंधिया हमारे शिवपुरीवासियों के पूर्वजों के रूप में हो पूजे जाते है, उनका स्थान दक्षिण में स्थापित करना चाहिये जिससे उनके आशीर्वाद से शिवपुरी की उन्नति हो सके।

ब्रह्मस्थान में स्थापित करेंगे तो आत्मा असंतृप्त रहेगी

ब्रह्मा स्थान पर स्थापित करने से महाराज सिंधिया जी की आत्मा भी असंतृप्त रहेगी। ब्रहा स्थान हमेशा खुला होना चाहिए या हमारी शिवपुरी नगरी शिव के रूप में पूजा जाती है और शिवपुरी का प्रत्येक व्यक्ति वहां होकर चौराहे का चक्कर लगाकर प्रतिदिन निकलता है यदि शिवपुरी के मुख्य चौराहे पर भगवान शिव की स्थापना करा दी जाए तो शिवपुरी के विकास में काफी लाभ देखने को मिलेगा साथ ही महाराज सिंधिया जी मूर्ति को गुना वायपास पर एक चौराहा बनाकर स्थापित किया जाना चाहिए तो स्व. महाराज सिंधिया जी जो कि पूर्वज की श्रेणी में ही आते है उनकी कृपा भी शिवपुरी पर होने लगेगी। साथ ही महाराज साहब की ऐसी मूर्ति लगाई जाए जिसमें शरीर की आकृति पूर्ण हों।

शिवपुरीसमाचार.कॉम ने वास्तु अनुसार यह समीक्षा केवल इसलिए करवाई कि जब समय ने माधौ महाराज की प्रतिमा स्थापित करने का सौभाग्य इस शहर को दे ही दिया है तो क्यों ना उनकी शान के अनुसार छत्री स्थापित की जाए जो वास्तु सम्मत हो और शहर के लिए लाभकारी भी।

हमारा मानना है कि इस विषय पर विचार किया जाना चाहिए। जहां और जितनी प्रतिमा खंडित हुई वहां और उतनी ही आकार की प्रतिमा पुनर्स्थापित किया जाना शायद न्याय संगत न हो। जब अवसर मिला ही है तो पूरी छत्री बनाइए और वास्तु अनुसार सही स्थान पर बनाइए।

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