कोर्ट के आदेश की अवमानना:टीआई और एसपी को नोटिस

बैराड़। जिले के बैराड़ थाना क्षेत्र में निवासरत एक पत्रकार के साथ मारपीट और लूट की घटना को अंजाम देने के मामले में हाईकोर्ट द्वारा कार्यवाही करने के आदेश के बाद भी कार्यवाही नहीं होने पर हाईकोर्ट ने शिवपुरी एसपी और बैराड़ थाना प्रभारी को तलब किया है। यह मामला कोर्ट में लगी जनहित याचिका से जुड़ा होने के चलते कोर्ट ने टीआई और एसपी को तलब किया है।

हाईकोर्ट ने माखन सिंह धाकड की याचिका पर सुनवाई के दौरान पूर्व मे एसपी को हाई कोर्ट मे ललिता कुमारी के मामले मे दिये गये आदेश के परिप्रेक्ष्य में कार्य करने के आदेश दिये थे। लेकिन पुलिस ने उक्त आदेश के पालन मे कार्यवाही नहीं की । याचिका कर्ता माखन सिंह धाकड  मीडिया कर्मी होकर नगर पंचायत बैराड,क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के विरूध निर्भीकता से जनहित मे आवाज उठाता रहता है। 

बीते 2014 में नगर पंचायत बैराड के गठन में फर्जी तरीके से हुई नियुक्तियों एवं व्याप्त अनियमितताओं और परिषद के पदाधिकारी व पूर्व सीएमओं व उनके रिश्तेदारों द्वारा किये गये  के खिलाफ समाचार पत्रों एवं इलैक्ट्रोनिक मीडिया के माध्याम से जि मेदार अधिकारियों एवं जनमानस का ध्यान खींचा था इसके खिलाफ जनहित याचिका मामनीय उच्च न्यायालय ग्वालियर के समक्ष जनहित याचिका प्रस्तुत की जो विचारधाीन हैं। याचिकाकर्ता माखन सिंह धाकड के विरूद्ध दोषी व्यक्तियों द्वारा दबाव बनाने के लिये झूठे मुकदमों में फंसाये जाने के असफल प्रयास किया गया।  

इस मामले में नगर पंचायत अध्यक्ष पति दौलत सिंह रावत, रघुवीर धाकड़, धीरू रावत, राकेश शर्मा, महावीर कर्ण, गिर्राज ओझा का भाई अन्य चार पॉच व्यक्तियों द्वारा माखन सिंह धाकड की दुकान में घुसकर मारपीट कर दुकान मे से लूट की गई।

माखन सिंह धाकड द्वारा जनहित में की जा रही कार्यवाही बंद कराने जान से मारने की धमकी दी गई। उक्त घटना की रिर्पोट बैराड थाना प्रभारी धर्मेन्द सिंह यादव द्वारा दर्ज न करते हुये धाकड को झूठे प्रकरण मे फंसा देंने की धमकी दी गई। 

बैराड थाना प्रभारी की मनमानी एवं गैर कानूनी कार्यवाही से व्यथित होकर माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के समक्ष रिट पिटीशन प्रस्तुत की गई । जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा  आदेश पारित कर पुलिस अधीक्षक शिवपुरी को दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही विधि अनुसार माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देश दिये गये। जिसमें आरोपीगणों के विरूध  कोई कार्यवाही नहीं की गई। माननीय उच्च  न्यायालय के आदेश की अवमानना की गई है।