शिवपुरी। कहते है कि औलाद मां-बाप का सहारा होती है। बुढापे में वह सेवा करेगी। इसी आस के साथ वह अपनी औलादो से रखती है। लेकिन शिवुपरी में एक मा-बांप के 3 बेटो उसे वृद्वा अवस्था में अस्पताल में मरने के लिए छोड गए। रोते हुए इस वृद्व दंपत्ति ने प्रेस को यह जानकारी दी कि बेटो ने उन्है जब तक रखा तब तक हमारी 40 बीघा जमीन उनके नाम नही हो गई।
आज दोपहर सोशल मीडिया पर एक मैसेज चल रहा था कि एक मरीज को शिवपुरी अस्पताल में ब्लड की आवश्यकता है। ब्लड डोनेट की इच्छा रखने वाले डोनर संपर्क करे। इस सूचना के मिलते ही पत्रकार अशोक अग्रवाल खून देने की मंशा से वहां पहुंचे और उन्होंने सर्वप्रथम ब्लड डोनेट किया और ब्लड डोनेट करने के बाद उन्होंने यह जानने के मकसद से कि आखिर वो वृद्ध मां कौन है वह उसके साथ गया और यहां उसे जो कुछ मिला वह न सिर्फ चौकाने वाला था, बल्कि उन कलियुगी औलाद के लिए शर्मसार करने वाला था।
अपनी वृद्ध पत्नी का इलाज करा रहे 80 वर्षीय साहब सिंह का कहना था। कि उसके तीन लडक़े हैं जिनमें से एक हमें इलाज के नाम पर यहां छोड़ गया और उसके बाद से उसका कोई पता नहीं है जबकि अन्य दो पुत्रों ने तो हमारी सुध तक नहीं ली। साहब सिंह ने यह भी बताया कि उसके पास 40 बीघा की खेती थी जो कुछ समय पूर्व बच्चों ने अपने नाम करा ली और उसके बाद से बेटों ने हमें बेसहारा छोड़ दिया। साहब सिंह का कहना है कि अब उसने यह मान लिया है कि उसकी कोई औलाद ही नहीं है। अब तो हम पति-पत्नी ही समूचा परिवार हैं और हम दोनों ही एक दूसरे का सहारा हैं।
इलाज करा रही वृद्धा ने बताया कि उसके तीन बेटे हैं जो अपनी खेती में व्यस्त हैं न तो वह मेरा इलाज कराने आए और न ही हमारी सुध लेते हैं। मेरा सहारा मेरे पति ही हैं वही मेरा इलाज करा रहे हैं। उसके बेटों ने तबसे हमसे पूरी तरह मोह त्याग दिया है जबसे उन्होंने जमीन अपने नाम कराई है।
इस घटनाक्रम को बयां करते हुए साहब सिंह न सिर्फ रोने लगा, बल्कि उसने रात की एक ऐसी बात बताई जिसे जानकर वहां मौजूद सभी लोग भावविभोर हो गए। साहब सिंह ने कहा कि बीती रात उसकी पत्नी ने उससे कहा कि मुझे चुपचाप रेल पटरी पर डाल आ मैं अब जीना नहीं चाहती। कभी 40 बीघा से अधिक जमीन के मालिक रहे इस वृद्ध दपत्ति को आज ऐसा महसूस हो रहा है कि तीन-तीन बेटों के मां-बाप होने से अच्छा तो बे औलाद होना ही बेहतर था।
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