पार्षदों पर प्रकरण, शिवपुरी की राजनैतिक प्याली में तूफान, षडयंत्र किसका ?

त्वरित टिप्पणी
ललित मुदगल
शिवपुरी. प्रदेश में सरकार भाजपा की शिवपुरी में जनप्रतिनिधि भाजपा के, नगर पालिका में पार्षद भाजपा के और अध्यक्ष भी भाजपा का, जिला पंचायत भाजपा का, जनपद पंचायत भाजपा का, पूरे जिले में पांच में से चार विधायक भाजपा के फिर कैसे भाजपा के लोगों पर ही मामले पंजीबद्घ हो रहे है।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि जब नगर पालिका में मचे घमासान में कांग्रेसियों ने नपा परिसर में परिषद की बैठक में सीएमओ और अध्यक्ष के सामने ही कुर्सियां टेबिल तोड़ दी शासकीय कार्य में बाधा होना किसी को नजर नहीं आया और गत रोज नगर पालिका में उपयंत्री को लेकर सीएमओ और भाजपा के पार्षदों में मचे उपद्रव में सीएमओ की रिपोर्ट पर आधा दर्जन से अधिक पार्षदों पर मामला दर्ज होते है। फिर कहां गया भाजपा का वह दल जो अपनी ही पार्टी में विपक्ष से घिरता जा रहा है।

कहीं ऐसा तो नहीं कि इस पूरे मामले में राजनीति का चोला ओढ़ा जा रहा है और अपनी ही पार्टी के ही कुछ लोगों ने अंदरूनी सपोर्ट कर सीएमओ का पक्ष लिया और विपक्ष के साथ मिलकर इन पार्षदों पर मामला दर्ज करा दिया गया। ऐसे में जिलाध्यक्ष की भूमिका भी शांत स्वभाव में रहना कई सवालों को जन्म देता है जो सबकुछ जानते हुए भी केवल शांत बैठे है। अभी दो दिन पहले ही जिन पार्षदों पर मामला पंजीबद्घ हुआ उन्होनें अपना दुखड़ा जिलाध्यक्ष के समक्ष सुनाया लेकिन इतना सब होने के बाद भी जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी से दूरी रखना कहीं ना कहीं मामले में पेंच लगाता नजर आ रहा है। जब विपक्ष के उत्पात के बाद उन पर मामला दर्ज नहीं हो पाया तो कैसे सीएमओ ने आधा दर्जन से अधिक पार्षदों पर पुलिस कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। कहीं यह मामला षडयंत्र के तहत तो दर्ज नहीं किया गया, आखिर कौन है इसके पीछे, ढूंढना होगा भाजपा को?

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हमेशा जन-जन को साथ लेकर प्रदेश के विकास की सोच को रखा और काफी हद तक वह जन-जन की लाड़ले भी बने और बन रहे है लेकिन भाजपा पार्टी की छवि शिवपुरी में धूमिल होती नजर आ रही है। यहां पार्टी की पाकसाफ छवि को खराब करने वाले कोई और नहीं बल्कि पार्टी के ही अपने नेता है जो अपने छोटे-मोटे स्वार्थों को पूरा करने के लिए पार्टी की छवि को भी ताक पर रखने से गुरेज नहीं करते। अभी कुछ दिनों पहले की बात की जाए तो यहां नगर पालिका में मची हायतौबा ने भी पार्टी को छवि को खराब किया है। यहां उपयंत्री को लेकर मचे घमासान में आखिर नगर पालिका सीएमओ ने अपनी मनमानी करके ही दम लिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि सत्तासीन भाजपा सरकार के आधा दर्जन से अधिक पार्षदों पर विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण पंजीबद्घ किए गए। आज वही पार्षद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए इधर-उधर भटक रहे है। 

जबकि पूर्व में ऐसे कई मामले नगर पालिका में हुए जहां परिषद बैठक के दौरान कुर्सी टेबिल की भी तोडफ़ोड़ की गई, क्या यहां शासकीय कार्य में बाधा होना प्रशासन को नजर नहीं आया जो कांग्रेसियों पर किसी प्रकार का मामला दर्ज नहीं किया गया या यूं कहे कि किसी ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराना उचित नहीं समझा। यहां सत्तासीन नेताओं को भी कई बार मुंह की खानी पड़ी है चाहे वह शिवपुरी विधायक माखन लाल राठौर हो या पोहरी विधायक प्रहलाद भारती, करैरा विधायक रमेश खटीक या कोलारस विधायक देवेन्द्र जैन यह सभी सत्तासीन भाजपा सरकार के जनप्रतिनिधि तो है लेकिन महज छोटे-मोटे कार्य कराने के एवज में इन सभी को अपने मुंह की खानी पड़ी है। पार्टी की छवि को यदि इसी तरह खराब किया गया तो कैसे प्रदेश के समृद्घ विकास की सोच रखने वाले मुख्यमंत्री की मंशाओं को पूरा माना जाएगा। राजनीति के विशेषज्ञों के मुताबिक बताया गया है कि भाजपा की अंदरूनी फूट इस तरह के कारणों से सामने आ रही है यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में भाजपा को विपक्ष का नहीं बल्कि अपनो का ही सामना करना पड़ेगा। 

नगर पालिका, जिला पंचायत, जनपद पंचायत और शिवपुरी सहित अन्य विधानसभाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपाईयों को आए दिन होने वाले मामलों से उठकर विकास की सोच को अपनाना होगा तब कहीं जाकर मुख्यमंत्री की अपेक्षाएं यहां खरी उतर सकेगी अन्यथा इस तरह मचने वाले हौच-पौच से पार्टी की स्वच्छ छवि आमजन में बिगड़ाव का घर कर रही है। विपक्ष की भी मंशा है वह तो ऐसे अवसरों पर अपना स्वार्थ पूरा करना चाहता है आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी द्वारा जनचेतना यात्रा शुरू होने वाली है। जिसका उद्देश्य है कि जन-जन को भाजपा सरकार की मनमानी व भ्रष्टïचार को उजागर करना और यदि इस मंसूबे में कांग्रेसी कामयाब हो गए तो भविष्य में इसके क्या परिणाम होंगे इसका अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है।

अध्यक्ष को मिली शिकायत, फिर भी नहीं हटा उपयंत्री

इस पूरे मामले में सीएमओ जब रिपोर्ट लिखाने पहुंचे तो उनके साथ नपा का कोई कर्मचारी पुलिस कोतवाली नहीं गया। उनके साथ कांग्रेस मानसिकता का ठेकेदार गया। उनके साथ कोतवाली में नपा का एक भी अधीनस्थ कर्मचारी नहीं गया। ऐसा क्यों हुआ?इससे पूर्व भी जब एस.के.मिश्रा उपयंत्री इन पर जल प्रभार है इनकी कई शिकायतें अध्यक्ष के पास पहुंची। तो अध्यक्ष ने इन्हें इस पद से हटाने की अनुशंसा नोटशीट पर कर दी परन्तु अध्यक्ष की अनुशंसा के बाद उपयंत्री को हटाया नहीं गया। आखिर ऐसा क्यों?

क्या कहते है राजनैतिक विशेषज्ञ

नगर पालिका में मचे उपद्रव को लेकर यदि कोई कारण बनता है तो वह पार्षदों की आपसी फूट है इसलिए यह नौबत आई जबकि होना यह चाहिए कि पार्षदों को ही नहीं बल्कि हर सत्तासीन नेता को अपने प्रदेश के विकास की सोच रखनी चाहिए इस तरह विवाद की स्थिति पार्टी में फूटन को प्रदर्शित करती है।
अशोक कोचेटा
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीति क्षेत्र के अनुभवी विशेषज्ञ