जलावर्धन पर अवमानना याचिका में उच्च न्यायालय ने की समय सीमा तय

शिवपुरी। शुद्ध पेयजल वितरण हेतु 9 वर्षों से प्रदेश शासन जिला प्रशासन और क्रियान्वयन एजेंसी की लापरवाही और नकारापन से अधर में लटकी जलावर्धन योजना के विरूद्ध सोसायटी फॉर पब्लिक इंटे्रस्ट शिवपुरी द्वारा संचालित जल आन्दोलन के संयोजक एड.पीयूष शर्मा की माननीय उच्च न्यायालय के डब्लयू पी 130/2014 पीआईएल(जनहित याचिका) के आदेश दिनांक 30 अप्रैल 2014 की अवमानना याचिका की अंतिम सुनवाई करते हुए समय सीमा तय की।

इसमें बीती 6 सित बर 2016 को मा.उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता एड.पीयूष शर्मा विरूद्ध एन.एस.मिश्रा एवं अन्य में माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालिर के मा.न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल ने प्रतिवादी पक्ष द्वारा शिवपुरी शहर में योजना के क्रियान्वयन एवं जनता को घरों में नलों से पेयजल का वितरण सुनिश्चित करने हेतु फरवरी 2017 तक का भरोसा दिलाया है।

 इन परिस्थितियों में मा.हाईकोर्ट के द्वारा अवमानना याचिका स्वीकार करते हुए क्रियान्वयन एजेंसी को फरवरी 2017 तक योजना का क्रियान्वयन पूर्ण कर पानी की सप्लाई शुरू करने का समय निर्धारित करते हुए निर्देश जारी किए है। 

गौरतलब हो कि सोसायटी फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट के तत्वाधान में जारी जल आन्दोलन के संयोजक एड.पीयूष शर्मा के द्वारा पाईप लाईन बिछाने हेतु नेशनल पार्क में खुदाई रोके जाने वाले तत्कालीन वन संरक्षक शरद गौड़ के आदेश को खारिज कराते हुए मा.उच्च न्यायालय में एड.पीयूष शर्मा द्वारा जनहित याचिका में कलेक्टर, वन संरक्षक एवं सीएमओ की टीम बनाकर समय सीमा में जनहित की इस योजना के क्रियान्वयन हेतु आदेश जारी किया गया था जिसके अनुपालन ना होने से व्यथित होकर एड. पीयूष शर्मा द्वारा वर्तमान अवमानन याचिका प्रस्तुत की गई थी। 

विदित हो कि जल आन्दोलन संचालन समिति शिवपुरी के संयोजक एड.पीयूष शर्मा द्वारा पर्यावरण की अनुमति हेतु मा.सुप्रीम कोर्ट की ए पॉवर कमेटी में फाईल दबी होने के कारण शहर की जनता से लगभग 35 हजार पत्र मा.सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखते हुए पखवाड़ा चलाया गया था और इस अभियान को काफी समर्थन मिला जिसका परिणाम यह हुआ कि जनहित में इस मामले की सुनवाई हुई और अब माननीय उच्च न्यायालय ने जलावर्धन योजना निर्माण को लेकर अंतिम समय सीमा निर्धारित की है।