शिक्षा विभाग का अंधा कानून: किराए की दुकानों में चल रहे आवासीय छात्रावास

बदरवास। नए सत्र में स्कूलों दाखिला प्रारंभ हो गया है, वहीं कई निजी स्कूल रंगीन पोस्टर और प्रसार प्रचार में बढा चढाकर स्कूल की व्यवस्था बताकर अपनी दाल गलाने में लगे हैं। जिसका  सीधा असर अभिभावकों की जेब पर पडना है। 

अभिभावक अपने बच्चों के उज्वल भविष्य के लिऐ उन्हे निजी स्कूलों में पढाना चाहते हैं जिससे वह एक अच्छी शिक्षा हासिल कर सकें। वहीं यह फर्जी स्कूल संचालक जिनके पास ना तो शिक्षा की सही उपलब्धियां है और ना ही स्कूल के लिऐ पर्याप्त जगह फिर भी वह शासन के नियमों को ताक पर अपने निजी स्कूल चला रहे हैं। 

क्षेत्र में करीब एक दर्जन से अधिक ऐसे स्कूल संचालित हैं जिनके पास कोई मान्यता नहीं है। जिन पर स्कूल की मान्यता है उनपर स्कूल के लिऐ पर्याप्त जगह नहीं हैं। स्कूलों में प्रवेश अधिक हों उसके लिऐ वह झूठा प्रसार प्रचार कर रहे हैं। कई स्कूलों में बताया जाता है की यहां खेल मैदान स्वींगपूल जैसी व्यव्स्था है पर वह सिर्फ स्कूल भर्तियां बढ़ाने के लिऐ एक झूठा प्रचार ही है हकीकत में वहां ऐसा कुछ नही होता। 

अभिभावक अपने बच्चों को पढाना एक बडी चुनौती मानने लगे हैं क्यूंकि स्कूल संचालक बच्चों की किताब अपने स्कूल से ही उपलब्ध कराते हैं जो की बाजार के दामों से कई गुणा ज्यादा होती है। अब देखना यह है की प्रशासनिक अधिकारी किस तरह से स्कूल संचालकों पर कार्रवाई करेंगे अगर इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह जनता का इसी प्रकार शोषण करते रहेंगे।