कर लो कट्टी इकठ्ठी, सिंध प्रोजेक्ट ही डूब गया

सत्येन्द्र उपाध्याय/शिवपुरी। शिवपुरी के प्यासे कंठो की बुझाने वाली योजना सिंध प्रोजेक्ट अंतत: डूब ही गया। और शिवपुरीवासियों से नम्र निवेदन है कि फिर कर लो कट्टी इकठ्ठी क्योंकि शहर से कट्टी कलचर अब कभी नहीं जाएगा। 

जैसा कि विदित है कि बीते 8 सालों में 59 से 94 करोड की योजना पर काम कौन करेगा यह सवाल उलझ गया है। दोशियाना या कोलकाता की बीटीएल कंपनी इस कंपनी को नपा ने टेंडर द्वारा काम दिया है। 

बताया जा रहा है कि अभी दो दिन से भोपाल में ईएनसी प्रभाकांत कटारे व दोशियान के बीच चली रही बैठक में कोई निष्कर्ष नही निकला है। दोशियान कंपनी ईएनसी के अफसरो को सतुष्टं नही कर पाए इस कारण दोशियान को काम करने की ईएनसी ने हरी झंडी नही दी है। 

और इधर विगत दिवस पूर्व नपा ने सिंध प्रोजेक्ट का अधूरा काम पूरा करने के लिए टेंडर कॉल किए थे। जिसमें काम मिला है कलकत्ता की बीटीएल कंपनी को लेकिन यह कंपनी काम पूर्ण नही करती ऐसा दोशियान कंपनी का कहना है। 

दोशियान का कहना है कि इस कंपनी ने कभी भी वाटर इंफ्रा का इतना बडा प्रोजेक्ट नहीं किया है। यह कंपनी अब तक बिल्डिंग व्यवसाय से जुडी रही है और काम करने का जो अनुभव प्रमाण पत्र कंपनी द्वारा प्रस्तुत किया गया है। वह भी अपनी ही सिस्टर कंसर्न से जारी करा लिया है। दोशियान के जीएम ने उस सर्टिफिकेट के फर्जी होने का दावा भी किया है। 

इन्ही सब कारणो को लेकर कंपनी कोर्ट चली गई है। जैसे ही नपा को इसकी भनक लगी नपा ने भी केबीएट दायर कर दी है कि दोशियान को को कोई भी राहत देने से पहले हमे सुना जाए। 

कुल मिलाकर इस योजना पर 2008 में काम शुरू होना था और 2011 में पूरा होना था लेकिन इस योजना पर काम नही नेतागिरी और वादे हुए और यह प्रोजेक्ट 59 करोड से 90 करोड के पार गया। अब नपा के नए टेंडर से एक नई कंपनी भी इस मामले मे उलझ गई है अगर दोशियान को कोर्ट राहत देती है तो कोलकत्ता की कंपनी भी कोर्ट जा सकती है। 

देरी होने के कारण लगात लगातार बढ रही है और इस पर जो भी कंपनी काम करेगी वो लागत मूल्य बढाने को लेकर काम रोक देगी फिर वही कहानी जो अब तक आप देखते आ रहे है। सीधे-सीधे शब्दो मेें कहा जाए कि सिंध प्रोजेक्ट डूब गया। अब सिंध की उम्मीद ना ही करो तो बढ़िया। उठाओ कट्टियां और शुरू हो जाओ। इस बार जलसंकट पहले से ज्यादा भयानक रहेगा।