छात्रा की मौत: डीपीसी के छात्रावासों में छात्राओ के शरीर में पानी तक नही बचा

ललित मुदगल @एक्सरे/शिवपुरी। बीते रोज जिला शिक्षा केन्द्र शिवपुरी द्वारा संचालित दिनारा के कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में पढने वाली कक्षा 7 की छात्र की मौत हो गई। बताया गया है कि यह मौत बालिका के शरीर में पानी की कमी के कारण हुई है। 

जैसा के विदित है कि गुजरे मार्च के माह में बालिका छात्रावास करैरा की छात्राए बीमार हुई थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। छात्रावास प्रबंधन पर उंगली उठाई गई और इसकी जांच की गई परन्तु कार्यवाही किसी पर नही कि गई। 

दिनारा के छात्रावास में मृतक छात्रा पुष्पा वशंकार उम्र 14 साल के पिता सताराम वशंकार ने छात्रावास प्रबंधन पर आरोप लगाए थे कि छात्राओ को एक समय खाना दिया जाता है और दूषित खाना दिया जाता है। प्रांरभिक दृष्टि में मृतक छात्रा के ईलाज कर रहे डॉक्टरो ने कहा कि शरीर में पानी की कमी से यह मौत हुई है। अर्थात डीहाईड्रेशन से...

क्या होता है डीहाईड्रेशन और क्यो होता है
अगर किसी व्यक्ति को डीहाईड्रेशन होता है तो उसके शरीर में पानी और इलैक्ट्रोनो की कमी के चलते रक्त रूधिए ब्हाईकाए सिंकुड जाती है। जिससे ब्लड सर्कुलेटेड नही हो पाता जिससे रक्त की संद्रता बढ़ जाती है जिससे रेड ब्लड कॉपरेरशन रूक जाती है। ब्रेन को ऑक्सीजन नही मिल पाता और व्यक्ति की मौत हो जाती है। डीहाईड्रेशन दूषित पानी और दूषित भोजन की वजह से होता है। 

इसका सीधा सीधा सा अर्थ है जिला शिक्षा केन्द्र शिवपुरी द्वारा संचालित छात्रावासों में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। शुद्ध भोजन और पानी की व्यवस्था भी इन छात्रावासों में नही है। 

यह लिखने में कोई अतिशोयक्ति नही होगी यह भ्रष्टाचार केवल अधीक्षिका द्वारा नही किया जा रहा है इस खाने के खेल नीचे से ऊपर तक की बॉडी लिप्त है। हर माह एक तय शुदा रकम वसूली जा रही है। बस रकम दो और छात्र और छात्राओ के शरीरों का पानी तक चूस लो। 

अभी मार्च में करैरा के छात्रावास की छात्राए बीमार हुई थी और उनको भी अस्पताल में भर्ती किया गया था और उसकी जांच भी कि गई परन्तु निष्कर्ष 00 डबल जीरो आया। किसी पर भी लापरवाही की जिम्मेदारी तय नही कि गई और किसी पर भी कार्यवाही नही की। 

कैसे मिलेगा मृतका को न्याय
अब सबसे बडा सवाल यह है कि मृतका को न्याय कैसे मिलेगा। कौन दिलाऐगा, क्या कलेक्टर शिवपुरी से उम्मीद रखाना चाहिए। उन्होने तो सस्पेंडेड डीपीसी से ही नौकरी करवा डाली, क्या भाजपा से उम्मीद रखना होगा। जो नेता विधायक शिवपुरी के भ्रष्ट अधिकारियों से तमाम तरह की चंदे नियमित रूप से वसूल रहे हैं, क्या वो न्याय के लिए आवाज उठा पाएंगे। 

कांग्रेस की बात ना ही करे तो अच्छा होगा। उन्होने तो इस मामले में प्रेस नोट जारी करना भी उचित नही समझा, यदि सिंधिया की मेंढकी को जुकाम हो जाए तो सुंदरकांड शुरू हो जाता है, लेकिन एक गरीब की कन्या मर गई, इससे कांग्रेसियों को क्या। वोट बैंक का सवाल नहीं है इसलिए सिंधिया को भी क्या। 

कौन है दोषी
यह भी बडा सवाल दोषी कौन है, छात्रावास की अधीक्षिका, एपीसी जैंडर अनीता गुप्ता या डीपीसी शिरोमणि दुबे जो अपनी प्रतिनियुक्ति एक्सपायर हो जाने के बाद भी जुगाड़ की कुर्सी पर चिपके हुए हैं या फिर उसके वो अभागे मां बाप जिन्होंने अपनी बेटी को इस छात्रावास में पढने के लिए भेजा। या फिर मप्र के शिक्षामंत्री जिन्होंने डीपीसी को निलंबन का एक लेटर दिखाकर परेशान किया और एक बंद सूटकेस के साथ निलंबन का वो लेटर भी बंद हो गया। कभी जावक ही नहीं हुआ।