नहीं बदलेगा भाजपा अध्यक्ष,रघुवंशी ही होगें रिपीट

शिवपुरी। मंडल अध्यक्ष चुनावों के पश्चात अब सबकी नजरें भाजपा जिलाध्यक्ष के चुनाव पर केन्द्रित हो गई हैं। 15 मंडल अध्यक्षों में से सिर्फ दो मंडल नरवर और दिनारा में बदलाव नहीं हुआ था। जबकि अन्य 13 मंडलों में नए अध्यक्ष चुने गए हैं, लेकिन जिलाध्यक्ष पद के चुनाव में बदलाब की आशंकायें बहुत क्षीण नजर आ रहीं हैं और यह तय लग रहा है कि नए जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी ही होंगे। सूत्र बताते हैं कि उनके पक्ष में भाजपा में सक्रिय गुटों ने अपनी सहमति व्यक्त कर दी है। 

पूर्व जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत के पद से हटने के बाद उनके स्थान पर सुशील रघुवंशी को जिलाध्यक्ष मनोनीत किया था। श्री रघुवंशी रावत के नजदीकियों में गिने जाते हैं। लेकिन जिलाध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह से उन्होंने विरोधी खैमो के बीच अपने आपको स्थापित किया है। उससे उनका पक्ष प्रबल हुआ है। 

मंडल अध्यक्षों और जिला प्रतिनिधियों के चुनाव को देखते हुए उनकी नियुक्ति के आसार प्रबल बने हुए हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर सुशील रघुवंशी का कोई विरोधी न हो ऐसा भी नजर नहीं आ रहा है। श्री रघुवंशी कोलारस विधानसभा क्षेत्र के हैं और इस विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन और ओमप्रकाश खटीक से उनका समन्वय उतना मधुर नहीं है। 

मंडल अध्यक्ष के चुनाव में भी दोनों के बीच टकराहट देखने को मिला था। कोलारस मंडल अध्यक्ष विपिन खैमरिया को बनबाने का श्रेय श्री रघुवंशी को है जबकि पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन उनके स्थान पर किसी अन्य की नियुक्ति चाहते थे। श्री जैन को लगता है कि यदि सुशील रघुवंशी जिलाध्यक्ष बनने में सफल रहे तो अपने विधानसभा क्षेत्र में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं। 

इसी कारण से श्री जैन और उनके साथ श्री खटीक जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। दोनों पूर्व विधायक भाजपा की गुटीय राजनीति में नरेन्द्र सिंह तोमर खैमे के हैं। श्री रघुवंशी भी तोमर खैमे के माने जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि उद्योग मंत्री यशोधरा राजे से श्री रघुवंशी के अच्छे समन्वय को मुद्दा बनाकर पूर्व विधायक उनके स्थान पर किसी अन्य की नियुक्ति कराना चाहते हैं। 

अपुष्ट खबरों के अनुसार जिलाध्यक्ष पद के लिए पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन अपने सखा देेवेन्द्र श्रीवास्तव का नाम आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि इस नाम को अभी उतना समर्थन नहीं मिल रहा है। यशोधरा खैमे से भी अध्यक्ष पद के लिए अशोक खण्डेलवाल का नाम चल रहा था। उनके नाम की पैरवी विधायक प्रहलाद भारती कर रहे थे। 

लेकिन जिस तरह से सुशील रघुवंशी का पक्ष प्रवल हुआ है उससे श्री खण्डेलवाल दौड़ से पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं। हालांकि जिलाध्यक्ष चुनाव में अभी आठ दिन शेष हैं, लेकिन अभी तो इस तरह के आसार दिख रहे हैं कि वर्तमान जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी के लिए कोई चुनौती नहीं है। 

साफ, स्वच्छ और निर्विवाद छवि श्री रघुवंशी की  ताकत
जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता हैं और उनकी साफ स्वच्छ छवि एवं निर्विवाद व्यक्तित्व उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी हुई है। भाजपा में वह गुट विशेष से जुड़े हुए अवश्य है,लेकिन अपने विरोधियों के बीच संतुलन स्थापित करने में भी उन्हें महारथ हांसिल है। श्री रघुवंशी संघ के भी पुराने कार्यकर्ता रहे हैं। इन कारणों से जिलाध्यक्ष पद के लिए सुशील रघुवंशी कार्यकर्ताओं की पसंद बने हुए हैं।