सूखाग्रस्त गांवो का हो क्लस्टर सर्वे: केपी सिंह

शिवपुरी जिले में पर्याप्त वारिस ना होने के कारण खेतों में फसलें बर्बाद होकर किसान सूखे की चपेट में हैं। मप्र शासन द्वारा सूखाग्रस्त इलाकों का सर्वे तो कराया गया है लेकिन शिवपुरी जिले में पिछोर खनियाधाना तहसीलों को सर्वे के दौरान अधिकारियों ने लापरवाही से सूखाग्रस्त श्रेणी से अलग कर दिया गयाए जो कि वास्तविकता से परे है।

 सूखाग्रस्त ग्रामों का क्लस्टर सर्वे होना चाहिए। यह बात बुधवार को पिछोर विधायक केपीसिंह ने स्थानीय रेस्टहाउस पर आयोजित एक प्रेसवार्ता में उपस्थित पत्रकारों से कही। 

उन्होंने कहा कि किसी किसी ग्राम में तो फसल अच्छी हुई है लेकिन पैदावार के नाम पर किसानों की लागत भी नहीं निकली है। हमारे राजस्व एवं कृषि के अधिकारियों द्वारा कागजों में सर्वे कर खानापूर्ति की गई है। 

यदि ग्राम गाम जाकर धरातल पर सर्वे किया जाए तो पिछोर व खनियाधाना के कई ग्राम ऐसे हैं जो भयानक सूखा की चपेट में हैं। उन्होंने कहा कि मैंने 30 सित बर 2015 को मु यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिखकर निवेदन किया था और बात भी की थी। 

जिस पर मुझे आश्वासन दिया गया है कि हम पुनरू सर्वे कराएंगे। परन्तु इस संबंध में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

उन्होंने कहा कि पिछोर, खनियाधाना क्षेत्र में कांग्रेस का विधायक होने के कारण सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। किस क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित करना है और किसे नहीं इस पर राजनीति नहीं होना चाहिए। 

क्योंकि इससे गरीब किसान का मरना होता है। इस क्षेत्र के कई ग्रामों में सूखा की मार झेल रहे कई किसानों को सर्वे अधिकारियों द्वारा बली पर चढा दिया गया है।

 जो न्यायसंगत नहीं है। आगामी 17 तारीख को शिवपुरी जिले में आयोजित आक्रोश रैली में भी वे इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे। 

श्री सिंह ने बताया कि पिछोर खनियाधाना क्षेत्र के ग्रामों में बारिश ना के बराबर हुई है। ग्राम करारखेडा के तालाब में पानी कम आया है। घाटी पर का बुधना ताल पूरी तरह से सूखे की मार में है। 

नागदा ताल में भी पानी कम है। इस प्रकार कई ग्राम ऐसे हैं जिनका क्लस्टर सर्वे कराया जाकर उन्हें सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है। उन्होंने मु यमंत्री को भेजे पत्र में पिछोर खनियांधाना को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग की है।