कोलारस उपचुनाव: दीवारों पर भवन स्वामी की बिना अनुमति के प्रचार करने पर होगी कार्यवाही

शिवपुरी। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी तरूण राठी विधानसभा क्षेत्र-27 कोलारस के उपनिर्वाचन 2018 के अंतर्गत आदर्श आचरण संहिता के उल्लंघन संबंधी शिकायतों पर कार्यवाही तथा संपश्रि विरूपण निवारण हेतु अधिकारियों के दल का गठन किया गया है। निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान विभिन्न राजनैतिक दल या चुनाव लडने वाले अभ्यर्थी या विज्ञापन कम्पनियों द्वारा किसी भी शासकीय, अशासकीय सम्पत्ति को संबंधित विभाग या भवन स्वामी की अनुमति के बिना विरूपित किया जाता है तो संबंधित विभाग एवं भवन स्वामी के द्वारा थाने में शिकायत किए जाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट(एफआईआर) भारतीय दण्ड प्रक्रिया की धारा 188 एवं सम्पत्ति विरूपण निवारण अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत दर्ज की जाएगी। 

गठित दल में संबंधित अनुविभागीय अधिकारी, संबंधित अनुविभागीय अधिकारी(पुलिस), संबंधित सीईओ जनपद पंचायत एवं चार कर्मचारी, संबंधित मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं पांच कर्मचारी, बीएसएनएल के क्षेत्रीय एसडीओ, म.प्र.वि.वि.कं. के क्षेत्रीय सहायक यंत्री, पीडब्ल्यूडीके सहायक यंत्री/उपयंत्री एवं चार कर्मचारी, आईईएस का उपयंत्री एवं चार कर्मचारी, क्षेत्रीय थाना प्रभारी, संबंधित ग्राम पंचायत सचिव एवं संबंधित पटवारी कार्य करेंगे। संबंधित विभाग/दल द्वारा मूल स्वरूप में लायी गयी शासकीय/अशासकीय संपत्ति का विवरण प्रतिदिन रिटर्निंग अधिकारी एवं अपर जिला मजिस्ट्रेट शिवपुरी को दें, जिससे उक्त जानकारी निर्वाचन आयोग को प्रेषित की जा सके। 

मध्यप्रदेश संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम 1994 की धारा 3 के तहत कोई भी, जो सम्पत्ति के स्वामी की लिखित अनुज्ञा के बिना सार्वजनिक दृष्टि में आने वाली किसी सम्पत्ति को स्याही, खडिया, रंग या किसी अन्य पदार्थ से लिखकर या चिन्हित करके उसे विरूपित करेगा वह जुर्माने से, जो एक हजार रूपए तक का हो सकेगा, से दण्डनीय होगा।

इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय कोई भी अपराध सज्ञेय होगा। सम्पत्ति के अंतर्गत कोई भवन, झोपडी, संरचना, दीवार, वृक्ष, वाड, खम्बा, स्तंभ या कोई अन्य परिनिर्माण शामिल होगा। इसके साथ ही किसी भी शासकीय परिसर, भवन, दीवार, पानी की टंकी आदि पर लिखावट, पोस्टर चिपकाना, कट आउट, बैनर, होर्डिंग लगाने की अनुमति नही दी जाएगी। 

संपत्ति को मूल स्वरूप में लाने हेतु व्यय की वसूली दोषी व्यक्ति से भू-राजस्व की बकाया के रूप में की जाएगी और संबंधित पुलिस थाने में संबंधित विभाग द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) भी दर्ज कराई जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पत्ति को मूल स्वरूप में लाने हेतु व्यय की प्रति पूर्ति पंचायत सचिव द्वारा पंचायत निधि/पंचपरमेश्वर की 10 प्रतिशत राशि से की जाएगी।