शिवपुरी। शिवपुरी जिले के जमोनिया, कुंअरपुर, गहलौनी, तिघरा के भूमिहीन आदिवासी परिवारों को शासन ने वर्ष 2002 में कृषि भूमि के पट्टे दिए थे लेकिन इन पट्टों का अमल राजस्व अभिलेख में अभी तक नहीं हो पाया है। 15 साल से इन गांवों के एक सैंकडा से अधिक आदिवासी राजस्व अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं और इसके बाद भी पट्टों के राजस्व अमल का काम पूरा नहीं हो रहा है।
परेशान रामदिवाल आदिवासी, रामस्वरूप आदिवासी, प्रेम आदिवासी, चिरौंजी आदिवासी, पूरन आदिवासी, चिम्मू आदिवासी ने बताया कि एक और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोलारस विधानसभा उपचुनाव को लेकर सहरिया आदिवासियों के उत्थान के लिए तमाम घोषणाएं की लेकिन दूसरी ओर इस वर्ग के गरीब व भूमिहीन आदिवासी अपने पट्टे की जमीन के मालिकाना हक के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
जनसुनवाई में दिए आवेदन और लगाई 181 फिर भी नहीं हुई सुनवाई
शिवपुरी जनपद सदस्य मनीषा शर्मा ने बताया कि यह उनके जनपद का मामला है वह इन आदिवासियों की इस भूमि समस्या को लेकर कई बार एसडीएम सहित अन्य राजस्व अधिकारियों से मिल चुकी हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
इतना ही नहीं प्रति मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में और सीएम हेल्पलाइन सहित 181 पर कई बार अपनी शिकायत दर्ज करा चुके हैं इसके बाद भी कोई समाधान नहीं हो रहा है।
सहरिया सम्मेेलन में भी दिया था ज्ञापन
शिवुपरी जनपद के जमोनियाए कुंअरपुरए गहलौनीए तिघरा के भूमिहीन आदिवासी परिवारों ने बताया कि बीते रोज जब सेसई में सहरिया आदिवासी सम्मेलन हुआ था तो यहां पर सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपने अपनी इस समस्या को लेकर राजस्व दस्तावेजों सहित ज्ञापन दिया था लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
इन लोगों की मांग है कि कलेक्टर स्वयं किसी वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर भेंजे जिससे 15 साल पुराने हमारे पट्टों का अमल राजस्व दस्तावेजों में हो सके।
क्या कहते ही जनपद सदस्य
आदिवासियों की भूमि समस्या को लेकर कई बार आवेदन दिए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सीएम को भी सेसई सम्मेलन में एक ज्ञापन दिया था। यह आदिवासी अपनी समस्या को लेकर 15 साल से भटक रहे हैं पर इनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।
मनीषा शर्मा
सदस्य, जनपद पंचायत शिवपुरी
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