शिवपुरी। शरीर की प्रॉबलम सबके के साथ है, चाहे वह छोटी हो या बड़ी इसलिए हमें घर के बड़े एवं बुजुर्गों को पूरा लेटकर (दण्डवत) प्रणाम करना चाहिए। यदि घर में 10 लोग बड़े होंगे और उन्हें 10 बार दण्डवत प्रणाम करोगे तो एक्सराइज हो जाएगी जिससे आपका शरीर स्वस्थ्य रहेगा, शक्ति मिलेगी। इसलिए महात्माओं ने जो कहा है वह ऐसे ही नहीं कहा। आजकल तो प्रणाम के नाम पर क्या होता है घुटनों तक ही पहुंचना मुश्किल होता है जिससे काम चलने वाला नहीं है, उक्त बात गांधी पार्क में आयोजित संगीतमय श्रीरामकथा के चौथे दिन परमपूज्य साध्वी डॉ. विश्वेश्वरी देवी द्वारा श्रीराम कथा का वाचन करते हुए कही।
साध्वी जी ने कहा कि पहले लोग बड़ा कष्ट या विपत्ति आने पर हाय करते थे आज तो हाय-हाय करते ही रहते हैं जबकि ग्रंथों में जहां बड़ी पीड़ा की उल्लेख आता है, केवल वहीं पर हाय लिखा मिलता है। इसलिए सुबह-सुबह प्रणाम से ही दिन की शुरूआत करो। भगवान रामजी से गुरू सेवा सीखो, भगवान भी तो गुरू के चरण दबाते थे जब भगवान सेवा करते थे तो आपको भी करनी चाहिए। रामजी को मानने वाले अधिकतर सभी लोग हैं, लेकिन रामजी को मानने वाले बहुत कम है। भगवान जी के आचरण को अपने जीवन में उतारो जिससे आपका जीवन सुधर जाएगा।
भगवान रामजी के चरणों की सेवा करने का अवसर केवल दो लोगों को मिला। एक थे लक्ष्मण जी और दूसरे श्री हनुमान जी महाराज। लक्ष्मण जी ने बचपन से ही भगवान रामजी की सेवा प्रारंभ कर दी थी। साध्वी जी ने बताया कि एक दिन की बात है जब सुमित्रा मैया लक्ष्मण जी को पालने में सुलाती हैं तो लक्ष्मण जी जोर-जोर से रोने लगते हैं और वह बहुत समय तक रोना बंद नहीं करते हैं तो सुमित्रा मैया उन्हें उठाकर रामजी के पालने में एक ही तरफ को सुला देती हैं और लक्ष्मण जी शांत हो जाते हैं।
लेकिन लक्ष्मण जी खिसक-खिसक रामजी के पैरों तक पहुंच जाते हैं और दायिने पैर की अंगुली को मुंह में लेकर रामजी की चरण सेवा करने लगे। वहीं दूसरे हनुमान जी हैं जब से वह रामजी से मिले उन्होंने भगवान की चरण सेवा शुरू हो गई थी। हनुमानजी की सेवा निरंतर जारी रही चाहे परिस्थितियां अनुकूल हो या विपरीत।
हमें हनुमान जी के जीवन से सेवा करना सीखना चाहिए, सेवा हो तो हनुमान जी की जैसे हो। यहां बताना होगा कि कथा प्रतिदिन दोपहर साढे 12 बजे से प्रारंभ होकर शाम 5 बजे तक चल रही है। ट्रस्ट से जुड़े अशोक तिवारी, कपिल सहगल, राजेश गुप्ता ने सभी धर्मप्रेमियों से अपील की है कि वह अधिक से अधिक संख्या में श्रीराम कथा में पहुंचकर धर्म लाभ लें।
राम-जानकी विवाह में जमकर झूमे लोग
संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन भगवान श्रीराम और माता जानकी का विवाह बैंड बाजों के साथ धूमधाम से संपन्न कराया गया। विवाह के दौरान भक्तगण जमकर झूमे और इस दौरान इत्र का भी छिड़काव किया गया। आयोजकों द्वारा भगवान राम एवं माता जानकी की आरती उतारी।
Social Plugin