शीतलहर का प्रकोप: पारा औधें मुंह गिरा, ठिठुरते स्कूल पहुंच रहे है मासूम

शिवपुरी। जम्मू कश्मीर और हिमाचल में हो रही बर्फबारी से अंचल के मौसम में भी बदलाव आ गया है। दो दिन से तेज शीतलहर चल रही है। इस कारण दिन और रात के पारे में 2 से 3 डिग्री तक की गिरावट आ गई है। रात में पारा 6 डिग्री पर आ गया है, जिससे कंपकंपा देने वाली सर्दी पड़ रही है। मौसम विभाग की मानें तो आने वाले दिनों में आसमान पर घने बादल छाएंगे, लेकिन बारिश की संभावना नहीं है। ठंड का जोर बढ़ेगा। 

मौसम में बदलाव का दौर शनिवार से ही शुरू हो गया था। दिन भर ठंडी हवा चलती रही, जिससे लोगों को दिन में ही तेज सर्दी का अहसास होता रहा। शाम होते-होते तो सर्दी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई। रात में लोगों को कंपकंपा देने वाली सर्दी का सामना करना पड़ा। रात में न्यूनतम तापमान 8 डिग्री से गिरकर 6 डिग्री पर आ गया। रात का पारा गिरने से लोगों को तेज सर्दी का सामना करना पड़ा।

शीतलहर की र तार भी बढक़र 6 किमी प्रति घंटे पर पहुंच गई है। इससे दिन में धूप निकलने के बाद भी लोगों को ठंड लगती रही, जबकि दिन का तापमान 23.5 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है। 

छाएंगे घने बादल, बढ़ेगा सर्दी का जोर 
मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि आने वाले दो-तीन दिन तक आसमान पर घने बादल छाएंगे, लेकिन बारिश की संभावना नहीं है। उत्तर भारत में हुई बर्फबारी के कारण शीतलहर का जोर बना रहेगा, जिससे दिन और रात के तापमान में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी। 

ठिठुरते स्कूल जा रहे बच्चे 
सर्दी का जोर शुरू हो गया है, लेकिन सरकारी और निजी स्कूलों द्वारा स्कूल लगाने के टाइम में परिवर्तन नहीं किया गया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर स्कूल सुबह 8:30 बजे से ही लग रहे हैं, जिससे बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए सुबह 7 बजे से घर से निकलना पड़ता है, जबकि सुबह सात बजे का पारा 10 डिग्री के आसपास रिकॉर्ड हो रहा है। वहीं शीतलहर चलने से तेज सर्दी पड़ रही है। बच्चों को ठिठुरते हुए स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। 

जमने लगीं ओस की बूंदें  
शीतलहर बढऩे से फसलों और पेड़ पौधों पर ओस की बूंदें भी जमने लगी हैं। रात का पारा 6 डिग्री पर आ गया है। पोहरी के किसान महेश कुमार का कहना है कि यदि रात का पारा 5 डिग्री से नीचे जाता है तो पाला लगने की स्थिति बन जाएगी, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है। किसानों को सुरक्षा की दृष्टि से खेत की मेड़ पर रात में धुआं करना चाहिए, जिससे फसलों को पाला और तुषार से बचाया जा सकता है।