संस्कृति बचाने संतान में संस्कारों का बीजारोपण आवश्यक: मुनि अजितसागर

शिवपुरी। जैसे करेंट के बिना लाइट नही जल सकती वैसे ही श्रद्धा की अभिव्यक्ति के बिना भक्ति पैदा नही हो सकती। व्यक्ति के जीवन शारीरिक, मानसिक और आत्मिक आवश्यकताएँ हुआ करती हैं। शारीरिक और मानसिक आवश्यकताओं की पूर्ति तो घर मे पूरी हो जाती हैं, परन्तु आत्मा की आवश्यकता पूर्ती के लिये उसे धर्म का सहारा लेना ही पड़ता है। आज अपनी विषय वासनाओं को न रोककर संस्कृति को मिटाकर और सन्तति को रोका है, जिसके कारण हमारी संतानों के संस्कारों में विकृति आ रही है। और जैन समाज की संख्या लगातार घटती जा रही है। अत: संस्कृति को बचाने के लिये संतान में संस्कारों का बीजारोपण करना अत्यंत आवश्यक है। उक्त मंगल प्रवचन पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान में आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के प्रिय शिष्य प्रशममूर्ति  श्री 108 अजितसागर जी महाराज ने ने दिये।

उन्होनें कहा कि आज गर्भ कल्याणक पूर्वार्ध का दिन यही संदेश दे रहा है। कि आपने तन और मन की आवश्यकताएं तो पूरी कर लीं,  परन्तु अपनी आत्मा की आवश्यकताओं की पूर्ति आज तक नही की। 

आत्मा की आवश्यकता भगवान की पूजा, भक्ति और आराधना है। परन्तु समपर्ण, भक्ति और विशुद्धि के बिना की गई पूजा मात्र थाली का द्रव्य इधर का उधर ही करना है। पंचकल्याणक महोत्सव की आराधना में प्रत्येक व्यक्ति को यह भावना भानी चाहिए कि जैसे वीतरागी भगवान जिन्होंने संसार की सारी मोह-माया को छोडक़र आत्म स्वरूप को प्राप्त कर लिया है, उनके गुणों का गुणानुबाद कर के उन्ही जैसे गुण में भी प्राप्त करूँ। 

याद रखना पूजा उनकी होती है, जो धन को जो छोड़ते हैं।  धनपति चाहे कुबेर ही क्यों न हो, उनकी पूछ तो हो सकती है। पर पूजा नही। भगवान के दर्शन-पूजन से ही यह मनुष्य पर्याय धन्य होती है, उसके चरणों मे अपने आप को ऐसे समर्पित करदो, कि फिर कोई कामना ही बांकी न रहे।

उपनयन संस्कार आज
श्री सेसई जी पंचकल्याणक महामहोत्सव के दौरान आज एक विशेष कार्य उपनयन संस्कार होने वाला है। मुनि श्री की यह भावना है कि आज संस्कारों अभाव में समाज और देश की व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं। यदि संस्कारों का बीजारोपण उनमें बचपन मे ही कर दिया जाए तो ऐसे बच्चे आगे जाकर समाज और देश की उन्नति में साधक बनते हैं। 

क्योंकि संस्कारित बच्चों से ही समाज और देश का विकाश होता है, अत: कल जिनके भी 5 से 15 साल के बच्चे हैं, वह आवश्यक रूप से अपने बालक-बालिकाओं को आज 25 नवम्बर को दोपहर 3 बजे तक सेसई जी पंचकल्याणक में श्वेत वस्त्रों में एक श्रीफल लेकर पहुंचे। पूज्य मुनि श्री अजितसागर जी महाराज ससंघ द्वारा उनमे उपनयन संस्कार के माध्यम से जैनत्व के संस्कार डाले जाएंगे। किसी भी बच्चे को रंगीन वस्त्र और जीन्स और टीशर्ट पहनकर नही आना है।

पंचकल्याणक में नि:शुल्क भोजनशाला का संचालन
पंचकल्याणक महामहोत्सव के दौरान एक विशाल भोजन शाला का संचालन यहाँ किया जा रहा है, जिसमे रतलाम के मेवाड़ केटर्स के 250 व्यक्तियों की टीम दिन रात मेहनत करके उत्कृष्ट भोजन तैयार कर रही है।