कर्मचारियों की परवाह छोड़ अपना वेतनमान बढ़ा रही भाजपा सरकार : खोंगल

शिवपुरी। मप्र शासन की भाजपा सरकार तो तत्कालीन अर्जुन सिंह सरकार, पटवा सरकार और दिग्विजय सिंह सरकार से भी बहुत खराब है जहां कर्मचारियों के हितों को छोड़ स्वयं के वेतनमान को बढ़ाया जा रहा है जबकि सरकार को सरकारी रूप से वेतन, भत्ते, यात्रा बहुत कुछ मिलता है फिर स्वयं के वेतन की अपेक्षा यदि कर्मचारियों का वेतन बढ़ाते तो इससे ना केवल प्रदेश सुधरता बल्कि शिक्षा के स्तर में भी बदलाव देखने को मिलता, आज प्रदेश की भाजपा सरकार ने कर्मचारियों का शोषण ही किया है ।

एक ओर जहां पेंशनर्स को सातवें वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा तो दूसरी ओर वेतनों में विसंगतियों को आज भी दूर नहीं किया जा रहा, आज भी हजारों नौकरियां खाली है बाबजूद इसे भरने के सरकार रिटायर्ड कर्मचारियों को संविदा के रूप में पदस्थी कर रही जो कि न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। उक्त बात कही मप्र कर्मचारी कांग्रेस के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र खोंगल ने जो स्थानीय ऋषि मैरिज गार्डन शिवपुरी में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। 

इस दौरान आंकड़ेबाजी के द्वारा सरकार की कर्मचारियों के प्रति विफलताओं को बताया और एक बार फिर से कर्मचारी हितों की मांगें पूरी नहीं की गई तो बड़े आन्दोलन की तैयारियों की ओर इशारा किया। इस अवसर पर मप्र कर्मचारी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजेन्द्र पिपलौदा, संगठक चन्द्रशेखर शर्मा चंदूबाबूजी, संरक्षक ओमप्रकाश शर्मा, प्रांतीय सचिव राजू गर्ग, मप्र वन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष दुर्गा ग्वाल, ओमप्रकाश शर्मा, अरूण भार्गव, मप्र लघु वेतन प्रकोष्ठ के संभागीय अध्यक्ष वीरेन्द्र कुशवाह, जिला सचिव मनमोहन जाटव,कर्मचारी कांग्रेस के प्रीतम सिंह राजे, स्वास्थ्य संघ से मनोज भार्गव गुरू, प्रमोद कटारे, गुऩा से आए कर्मचारी कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रमोद रघुवंशी, राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजमेर सिंह यादव, पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सक्सैना आदि सहित विभिन्न कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधिगण मौजूद थे। 

इन आंकड़ेबाजी से बताई सरकार की विफलता 
मप्र कर्मचारी कांग्रेस के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र खोंगल ने प्रेसवार्ता में उन आंकड़ों को बताया जिससे प्रदेश सरकार की विफलता कर्मचारियों के प्रति है इसमें डी.ए. का एरियर जिसमें 114 माह का डीए 8614 करोड़ का एरियर नहीं दिया गया, पेंशनर्स के 6वें वेतनमान के 33 माह का एरियर्स जो कि 900 करोड़ है वह सरकार ने हजम कर लिया और अपना वेतनमान बढ़ाया जा रहा है। 35 वर्षों से लिपिकों के वेतनमानों में विसंगति व्याप्त है और 1981 से आज 36 वर्षो से लिपिकों की वेतन विसंगति को दूर नहीं किया गया, जिससे 1 लाख लिपिकों को भारी आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। 

1973 में 17 योजनाऐं थी तो आज 2017 में 86 हो गई है प्रदेश में असमान सेवा निवृत्ति आयु है जिसमें डॉ.की 65 वर्ष, प्रोफेसर की 65, शिक्षक की 62, चतुर्थ श्रेणी की 62, लिपिक एवं अन्य कर्मचारियों की 60 वर्ष व निगम मंडल कर्मचारियों की 60 वर्ष में सेवानिवृत्ति की जा रही है यह एक समान हो। सेवानिवृत्त अधिकारियों की संविदा नियुक्ति देने की नीति जिसमें 28 सितम्बर 2017 को शासन ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए संविदा पर नियुक्ति देने की नीति घोषित की है युवा शिक्षिक, बेरोजगारों के हितों के विपरीत है, हम इस पर पुर्नविचार कर युवाओं को रोजगार देने की नीति बनाने की मांग करते है। 

सातवां वेतनमान सभी को नहीं मिल रहा जिसमें पौने तीन लाख पेंशनर्स, नगर निगम, नगर पालिका, निगम मंडल, सहकारी संस्थाऐं, शिक्षक व अध्यापक वर्ग शामिल है इसके अलावा जिन्हें 7वां वेतनमान मिल रहा है उन्हें भी नुकसान हो रहा है जिसमें पौने दो लाख कर्मचारियों को हर माह 44 करोड़ 97 लाख रूपये का नुकसान, 5 से 8 हजार-550 से 9 हजार के वेतनमानों के ग्रेड पे केन्द्र से कम, केन्द्र के समान ग्रेड पे मिलता तो हर माह 2570 रूपये अधिक मिलते।