हरिवल्लभ शुक्ला के चरित्र पर रामकली चौधरी नाम का बम प्लांट: बोतल से फिर जिन्न बाहर

ललित मुदगल@एक्सरे/शिवपुरी। पूरे प्रदेश में अभी किसानो की खबरों का हल्ला है लेकिन शिवपुरी में पोहरी के पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला के चरित्र पर प्लांट करती हुई एक खबर का हल्ला पूरे प्रदेश में हो रहा है। एक समाचार पत्र ने पोहरी के पूर्व विधायक और पोहरी की जनपद अध्यक्ष रामकली चौधरी के सबंधो को लेकर एक खबर प्रकाशित की हैं। इस खबर के बाद शिवपुरी की राजनैतिक धरातल पर भूकंप आ गया। आईए इस खबर का एक्सरे करते है। 

काग्रेंस के नेता हरिबल्लभ शुक्ला हमेशा विरोधियो के निशाने पर रहते है। हरिबल्लभ शुक्ला पोहरी से 2 बार विधायक रहे है। अब आने वाले विधानसभा चुनावो में हरिबल्लभ शुक्ला को पोहरी या शिवपुरी से टिकिट मिलने की संभावना है। हरिवल्लभ पर चारित्रिक आरोप मढने के पीछे वे कांग्रेसी हैं जो पोहरी और शिवपुरी से कांग्रेस टिकट की आकांक्षा रख रहे हैं वहीं भाजपा के निशाने पर वह इसलिए हैं।

राजनैतिक हलकों में चर्चा है कि हरिवल्लभ यदि इस बार पोहरी अथवा शिवपुरी से चुनाव मैदान मे उतरते हैं तो भाजपा के लिए मुकाबला आसान नहीं रहेगा। सूत्र बताते हैं कि पिछले दो विधानसभा चुनाव में पोहरी से हार के बाद हरिवल्लभ की प्रथम प्राथमिकता शिवपुरी सीट है लेकिन यदि उन्हें शिवपुरी से टिकट नहीं मिला तो वह पोहरी से भी लडने के लिए पूरी तरह तत्पर हैं। 

कांग्रेस से अपनी राजनीति शुरू करने वाले हरिवल्लभ समानता दल और बहुजन समाज पार्टी में भी रह चुके हैं और वह राजनीति में एक मात्र ऐसे उदाहरण हैं कि भाजपा के सदस्य न होते हुए भी भाजपा ने उन्हें 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था। 

हालांकि हरिवल्लभ चुनाव हार गए लेकिन उन्होंने महल की ईंट से ईंट बजा दी थी और श्री सिंधिया बडी मुश्किल से 80 हजार मतों से चुनाव जीत पाए थे। पिछोर में तो श्री सिंधिया को हरिवल्लभ के  हाथों हार का सामना करना पडा था। हरिवल्लभ इसके पूर्व सन 1998 में राजमाता विजयराजे सिंधिया की राजनैतिक उत्तराधिकारी यशोधरा राजे के खिलाफ शिवपुरी से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भी चुनाव लड चुके थे और वह महज 6 हजार वोटों से ही बडी मुश्किल से पराजित हुए थे। 

2003 का विधानसभा चुनाव पोहरी से अनजान सी पार्टी समानता दल उम्मीदवार के रूप में जीते थे। इन उदाहरणों से हरिवल्लभ के जनाधार का आंकलन आसानी से लगाया जा सकता है। इसी कारण सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी राजनैतिक राह में बडा रोड़ा बनने जा रहे हरिवल्लभ को कांग्रेस में लाने का प्रयास किया। 

2008 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का चयन करना हरिवल्लभ के राजनैतिक जीवन की सबसे बडी भूल थी।  2008 के चुनाव में उन्हें भाजपा उम्मीदवार भारती ने 25 हजार मतों से पराजित किया। लेकिन श्री शुक्ला के लिए यह सकून रहा कि चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को तीसरे स्थान पर ढकेल दिया। 

2008 की हार से हरिवल्लभ का आत्मविश्वास कमजोर हुआ और उधर सिंधिया भी उन्हें अपने पाले में खींचना चाहते थे जिसका परिणाम यह हुआ कि हरिवल्लभ 2013 में पोहरी से अपनी उम्मीदवारी की शर्त पर कांग्रेस में शामिल हो गए। 

उस चुनाव में हरिवल्लभ को भाजपा के साथ.साथ कांग्रेस के अपने उन विरोधियों से भी सामना करना पडा जो पोहरी से कांग्रेस का टिकट चाहते थे। कांग्रेसियों के जबरदस्त भितरघात के बावजूद हरिवल्लभ महज 4 हजार मतों से चुनाव हार गए। इस समय शिवपुरी की कांग्रेस में हरिबल्लभ शुक्ला शसक्त उम्मीदवार है जो विधान सभा जा सकते है। 

यही कारण उनके विरोधियो को सोने नही दे रहा है। इस कारण इस पुराने गढे मुर्दे को उखाडा गया है। बताया जा रहा है कि यह खबर पूरी तरह से प्लांट करवाई गई है। इस खबर का खंडन स्वयं रामकली चौधरी कर रही है और हरिबल्लभ शुक्ला भी कर रहे है। कांग्रेस नेता रामकली चौधरी ने आज से 11 वर्ष पूर्व ऐसा स्टेटमेंट दिया था लेकिन बाद में वह भी पलट गई थी और कहा था कि मुझे गुमराह कर दिया गया था। 

इस पूरे मामले में सवाल यह उठ रहा है कि इस खबर से किसको फायदा हो सकता हैं और यह खबर किसने प्लांट करवाई है। बताया जा रहा है कि इस खबर को प्लांट करवाने में हाथ कांग्रेस के वह नेता है जो हरिबल्लभ शुक्ला के लोकप्रियता से डर रहे है कही इस बार भी हरिबल्लभ शुक्ला को विधान सभा से टिकिट न मिल जाए और वह तीसरी बार विधायक बन जाए..........