मध्यप्रदेश में सबसे पहले लगाया गौहत्या पर प्रतिबंध: अखिलेश्वरानंद

शिवपुरी। आज शिवपुरी में आयोजित प्रेस वार्ता में गौ संवर्धन वोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद ने मध्य प्रदेश को गौ वंश के लिए सबसे बड़ा आश्रय स्थल बताते हुए कहा कि गौ वंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य है। यह खुशी की बात है कि मध्य प्रदेश का अनुशरण पड़ौैसी राजस्थान, उ.प्र., छत्तीसगढ़, झारखण्ड और महाराष्ट्र भी कर रहे हैं। सिर्फ बिहार से कुछ निराशा है। गाय बीमार हो, असहाय हो, अपंग हो लेकिन इसके बाद भी गायें और गौ वंश अनुपयोगी नहीं होते। उसके दूध से अधिक कीमती मूत्र और इससे भी अधिक कीमती गोबर है। जिससे खाद और गोबर गैस जैसी उपयोगी वस्तुओं का निर्माण होता है। 

गौशालाओं को आत्म निर्र्भर बनाने के लिए आवश्यक है कि वे पोषण का केन्द्र और अनुसंधान केन्द्र के रूप में भी काम करें। उक्त उदगार मध्य प्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद जी महाराज ने स्थानीय सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता में व्यक्त किए। उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश गौवंश का सबसे बड़ा आश्रय स्थल है।
गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेशानंद ने स्वीकार किया कि गौ शालायें सरकार नहीं बल्कि समाज चलाता है। सरकार और गौ संवर्धन बोर्ड का काम तो सिर्फ गौ शालाओं के संचालन को प्रोत्साहित करने का है। भारतीय संस्कृति में घर-घर गाय, घर-घर गौशाला की परंपरा है। 

इसी भावना को ध्यान रखते हुए सरकार  ने बूढ़ी, असहाय और अपंग गायों की देखभाल और उनके खान-पान हेतु गौशाला की परंपरा विकसित करने के लिए गौ शालाओं के पंजीकरण की व्यवस्था की है। गौशाला में पंजीकरण के लिए कम से कम 60 गायें होना आवश्यक है। 

लेकिन गौ शाला संचालकों को इससे अधिक गायों की संख्या बढ़ानी चाहिए और उनमें 20 प्रतिशत दुधारू गायें रखना चाहिए ताकि न केवल गौशालाओं का खर्च निकल सके बल्कि उन्हें पोषण और अनुसंधान केन्द्र के रूप में भी विकसित किया जा सके। उन्होंने कहा कि शिवपुरी जिले की नौ शालाओं में से तीन गौशालायें अनुसंधान केन्द्र के रूप में काम कर रही है। 

गौशालाओं के लिए बजट पर्याप्त नहीं 
गौ संवर्धन वोर्ड के अध्यक्ष ने एक सवाल के जवाब में बताया कि गौ शालाओं के लिए सरकारी बजट पर्याप्त नहीं है। पहले बजट जहां आठ करोड़ था अब 20 करोड़ वार्षिक तक पहुंच गया है। बजट के अनुसार एक गाय के लिए प्रतिदिन दस रूपए का बजट है और हमारा मानना है कि यह बजट पर्याप्त नहीं है। इसलिए हमने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बजट बढ़ाने की मांग की है। 

मुस्लिम शासकों ने गौ हत्या पर लगाया था प्रतिबंध
गायें अनुपयोगी नही होती। इसे मुस्लिम शासकों अकबर, बाबर, हुमायूं, जहांगीर और हैदर एवं टीपू सुल्तान ने भी माना था। अकबर के शासन काल में गौ हत्यारे को मृत्यु दण्ड दिया जाता था। जबकि हैदर और सुल्तान के शासन काल में गौ हत्यारे के हाथ काट दिया जाते थे। मध्य प्रदेश में गौ हत्यारे को आठ वर्र्ष की सजा का प्रावधान हैै।

कुरान में गौ हत्या की अनुमति नहीं
स्वामी अखिलेश्वरानंद जी महाराज ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय की सात जजों की बैंच ने गाय को उपयोगी मानते हुए उसकी हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि विरोधियों ने तर्क दिया कि गौ हत्या हमारा मौलिक अधिकार  है।