मुलभूत वस्तुओ पर टैक्स का विरोध: कपडा करोबारियो ने निकाली रैली, सौपा ज्ञापन

शिवपुरी। पूरे देश के व्यापारियों में जीएसटी का हल्ला हैं। देश के व्यापारी इस टैक्स का विरोध कर रहे है इसी क्रम में शिवपुरी के व्यापारी भी जीएसटी के विरोध में पीछे नही है। और इस विरोध में सबसे पहले शिवुपरी का कपडा व्यापार संघ आया। आज शिवपुरी के कपडे के करोबारियो ने अपनी दुकाने बंद रखी और रैली निकाली और कपडे पर कर लगाए जाने के विरोध में देश के प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौपा। 

शहर के करोबारियों में जीएसटी को लेकर सबसे पहले पहल करते हुए कपड़ा व्यापार संघ आया और संघ के अध्यक्ष विशाल भसीन ने अपने कपड़ा व्यापार संघ के पदाधिकारियों से चर्चा उपरांत यह निर्णय लिया कि कपड़े पर लगने वाले टैैक्स का कपड़ा व्यापार संघ विरोध करेगा और इसके तहत सभी दुकानदार अपने प्रतिष्ठान बंद रख इस विरोध प्रदर्शन को समर्थन प्रदान करेंगें।

इसी क्रम में 15 जून को नियत तिथि के तहत कपड़ा व्यापार संघ के आह्वान पर पूरा कपड़ा बाजार बंद रहा और कपड़ा व्यापार संघ ने रैली निकालकर जीएसटी का विरोध किया। इस विरोध के बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर कपड़ा व्यापार संघ ने माननीय प्रधानमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कपड़ा व्यापार को जीएसटी के दायर से बाहर रखने की मांग की।

ज्ञापन सौंपने वालों में कपड़ा व्यापार संघ के सचिव राजीव निगौती, अजय सांखला, विवेक मंगल, पुनीत भसीन, विवेक पाठक, दीपू हरियाणी, राजू जैन, सोनू सिंघल, विनोद गुप्त सोनू, सुरिन्दर सिंह, ओमप्रकाश अग्रवाल, धर्मेन्द्र जैन आदि शामिल रहे। इस ज्ञापन को डिप्टी कलेक्टर श्री पाण्डे के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेजा जाएगा। 

कपडा कारोबारियो ने यह मांग रखी ज्ञापन में 
कपड़ा व्यापार संंघ ने ज्ञापन में बताया कि कपड़े पर जीएसटी के प्रस्ताव से कपड़ा व्यावसाय बुरी तरह प्रभावित होगा, जबकि स्वतंत्रता के पश्चात से कपड़े को कर मुक्त किया गया था कारण कि आम आदमी की मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान की तर्ज पर कपड़े को भी महत्ता दी गई है।

कपड़ा व्यापार संघ का मानना है कि यदि कपड़ा व्यापार जीएसटी के दायरे में आएगा तो इससे इंस्पेक्टर राज कायम होगा, कपड़ा व्यापारियों को अलग से लेखा पुस्तिकाओं का रिकॉर्ड रखना, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां छोटे-छोटे कपड़ा व्यावसाई है वह कहां से कम्प्यूटर, ऑपरेटर का वेतन और कहां से हर महीने सी.ए. की फीस भरेंगे, इसे आसानी से समझा जा सकता है।

ऐसे में जीएसटी का लागू होना कपड़ा व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित करने के समान है इसलिए कपड़ा व्यावसाय जीएसटी का विरोध कर इसे जीएसटी के दायरे से बाहर लाने की मांग करता है। कपड़ा व्यापार संघ का मानना है कि माननीय प्रधानमंत्री कपड़ा व्यापार संघ की इस महत्वपूर्ण मांग को समझेंगें और शीघ्र ही कपड़ा व्यापारी हित में फैसला लिया जाएगा।