जलावर्धन योजना पर न्यायालय की अवमानना की याचिका दाखिल

शिवपुरी। अंचल के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली जलावर्धन योजना का कार्य निर्धारित समय सीमा में पूर्ण ना होने पर सोसायटी फॉर पब्लिक इंटे्रस्ट संस्था के अध्यक्ष एड.पीयूष शर्मा द्वारा बार-बार कोर्ट के आदेशों की अव्हेलना करने पर पुन: माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के समक्ष कंटेप्ट ऑफ कोर्ट (न्यायालय की अवमानना)याचिका क्रं.537/2017 दाखिल की गई है। एड.पीयूष शर्मा ने बताया कि इसके पूर्व भी जलावर्धन योजना को लेकर सोसायटी फॉर पब्लिक इंटे्रस्ट द्वारा सर्वप्रथम पीआईएल (जनहित याचिका)130/2014 को माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल की थी जिसमें निर्धारित समयावधि को लेकर संस्था ने समय मांगा था इसके बाद भी जब जनता शुद्ध पेयजल के लिए त्राहि-त्राहि कर रही थी।

जिसमें कंजरेवेटर ऑफ फॉरेस्ट (माधव राष्ट्रीय उद्यान) के आदेश दिनांक 11.06.2013 जिससे क्रियान्वयन एजेंसी को राष्ट्रीय उद्यान सीमा में खुदाई करने से रोका गया था इस आदेश को भी सोसायटी फॉर पब्लिक इंटे्रस्ट द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका लगाकर 30.04.2014 को खारिज कराया गया और इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर कलेक्टर, सीएमओ और कंजरवेटर फॉरेस्ट की एक संयुक्त टीम बनाकर निर्धारित कर जलावर्धन योजना पूर्ण करने के निर्देश दिए गए थे।

लेकिन इस संयुक्त टीम द्वारा समयावधि में कार्य पूर्ण ना कराए जाने से व्यथित होकर पुन: अवमानना याचिका क्रं.659/2014 माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई । जिसमें आदेश दिनांक 06.09.2016 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अवमानना याचिका को स्वीकार करते हुए माह फरवरी 2017 तक योजना का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन किया जाकर आम जनता को जल आपूर्ति प्रारंभ करने के आदेश दिए गए थे।

लेकिन आज भी यह कार्य शासन-प्रशासन द्वारा नहीं कराया गया। जिसके चलते सोसायटी फॉर पब्लिक इंटे्रस्ट द्वारा पुन: अवमानना याचिका क्रं.537/2017 को प्रस्तुत किया जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया और आगामी समय में इस याचिका पर सुनवाई होना। इस मामले को लेकर याचिककर्ता एड.पीयूष शर्मा द्वारा मलय श्रीवास्तव मुख्य सचिव भोपाल, दीपक खाण्डेकर मुख्य सचिव वन विभाग भोपाल, कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव, सीएमओ रणवीर कुमार नपा शिवपुरी, हरिओम शंख्यवार सीसीएफ माधव नेशनल पार्क शिवपुरी व रक्षित दोषी एमडी दोशियान कंपनी अहमदाबाद के विरूद्ध याचिका लगाई गई है।