बिनेगा पट्टा काण्ड: जांच शुरू होते ही माफियाओं में मचा हडकंप

शिवपुरी। शिवपुरी के ग्राम बिनेगा में आश्रम को सात हेक्टर से अधिक वन भूमि सामुदायिक पट्टे पर दिए जाने और आदिवासियों की पुरानी बसाहट को वहां से हटाए जाने को लेकर शुरु हुआ विवाद अब गहराता जा रहा है। आदिवासियों का आरोप है कि उन्हें सरकारी स्तर से स्वीकृत की गई कुटीरों को बनाने से आश्रम के कर्ताधर्ताओं द्वारा रोक जा रहा है उन्हें उन्हीं की बस्ती से साजिशन बेदखल करने का प्रयास किया जा रहा है और सामुदायिक पट्टे की भूमि पर आश्रम की ओट में अपना एक क्षत्र कब्जा कर लिया है। 

आदिवासियों ने गत समय शिवपुरी जिला प्रशासन को सहरिया क्रांति के बैनर तले एक ज्ञापन देकर गुहार लगाई थी कि उन्हें ग्राम बिनेगा में उन्हीं की वर्षों पुरानी बस्ती से बेदखल करने का षडयंत्र आश्रम की ओट में किया जा रहा है, जबकि जिस भूमि पर आश्रम बना है वह सामुदायिक पट्टे की वन विभाग की सरकारी भूमि है जिसका लाभ आम ग्रामवासियों को मिलना तो दूर उन्हें आश्रम में घुसने तक से रोका जा रहा है।

शिवपुरी कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने इस ज्ञापन को गम्भीरता से लेते हुए पूरे मामले की तटस्थ जांच कराने का निर्णय लिया तो आश्रम की ओट में आदिवासियों के हकों को छीनने का तानावाना बुनने वाले बौखला उठे और अब वे जांच को दबाव में प्रभावित करने के हथकण्डों पर उतर आए हैं।

यह है मामला
पूर्व कलेक्टर राजीव दुबे ने ग्राम बिनेगा में 5 मई 15 को वन विभाग की कक्ष क्रमांक पी- 969 की भूमि में से  7.19 हेक्टर वन भूमि का पट्टा बाबा एवं अन्य के नाम कर दिया। बाबा का कहना है कि सामुदायिक अधिकार की भूमि पर आदिवासियों द्वारा कुटीरों का निर्माण किया जाना गलत है इसे रोका जाए। उधर आदिवासियों का तर्क है कि ये कुटीरें उन्हें शासन ने स्वीकृत की हैं वे गलत नहीं हैं क्योंकि वे पीढिय़ों से अपनी जिस भूमि पर रह रहे हैं वहां अपनी जमीन पर निर्माण कर रहे हैं जबकि सामुदायिक पट्टे की भूमि को आश्रम के कर्ताधर्ता व्यक्तिगत उपयोग में ला रहे हैं। 

सामुदायिक पट्टे की भूमि पर चारों ओर आश्रम के कर्ताधर्ताओं ने दीवारें खड़ी कर घेराबंदी कर ली है प्रवेश द्वार पर संतरी तैनात कर रखे हैं यहां की भूमि का आदिवासियों को कोई उपयोग नहीं करने दिया जाता, उन्हें देखते ही खदेड़ दिया जाता है और अब जब वे अपनी ही भूमि पर सरकारी कुटीरें बना रहे हैं तो उन्हें भगाया जा रहा है। आदिवासियों ने इस अत्याचार के विरोध में लामबंद होकर प्रदर्शन किया।