राजकुमार यादव,बदरवास। शास्त्रो में लिखा है कि भारत भूमि के कंकर-कंकर में शंकर है। भगवान भी अपने होने का अहसास इस कलयुग में दिखाते रहते है। ऐसा ही एक चमत्कार भगवान भोलेनाथ शिवपुरी जिले के बदरवास तहसील मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सालोन गांव मैं तेलिया भरखा नामक स्थान पर दिखा रहे है,बताया जा रहा है कि स्वयं निर्मित भोलनाथ की पिंडी पर जैसे ही सूर्य देव का प्रकाश गिरता है तो परछाई में शिवजी की आकृति बन जाती है।
बदरवास नगर के युवा उद्धमी एवं शिवभक्त विकास चतुर्वेदी और उनके साथ शिक्षक घनश्याम शर्मा इस साल के प्रथम दिन शिव अभिषेक करने इस स्थान पर गए अभिषेक और पूजा अर्चना के बाद विकास ध्यान करने बैठे तो विकास चतुर्वेदी का ध्यान शिवलिंग के पीछे स्थित चट्टान पर सूर्य की किरणों से निर्मित परछाई पर गया तो वह दंग रह गए क्योंकि उस चट्टान पर शिवलिंग की परछाई मैं ध्यानमुद्रा मैं शिव के साक्षात् दर्शन हो रहे थे।
युक्त दोनों युवक लगातार तीन दिन तक इस स्थान पर जाकर गुफा मैं नियत समय सायं 4:50 पर जाते और देखते कि 200 फीट गहरी गुफा मैं और 100 फीट अन्दर चट्टान पर पानी के प्राकृतिक स्त्रोत से स्यंभू प्रकट शिवलिंग पर सूर्य की किरणें केवल 5 मिनिट के लिए पड़ती हैं तभी शिवलिंग के पीछे स्थिति चट्टान पर यह अद्भुत दर्शन होते हैं। शिवलिंग का आकार गोल है फिर उसकी परछाई मैं मुख जैसी आकृति का बनना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
उक्त दोनों युवकों ने शिव के अदभुत दर्शन किये ही साथ मैं विकास चतुर्वेदी ने अपने आई फ़ोन मैं इस दुर्लभ और अद्भुत द्रश्य को रिकॉर्ड भी कर लिया जिसे इन्टरनेट पर शेयर किया. शिव की इस चमत्कारिक छबि को यूट्यूब पर बहुत कम समय मैं दस हजार से भी अधिक लोग देख चुके हैं और यह विडिओ वैश्विक स्तर पर वायरल हो रहा है.
यह है इस स्थान का प्राकृतिक सौदंर्य
इस स्थान पर पानी का एक विशाल झरना है जो 100 फीट की ऊँचाई से एक कुण्ड मैं गिरता है जो नहर से होकर आगे जाता है। इस कुण्ड के पास पानी के झरने के नीचे २०० फीट गहराई मैं एक गुफा है जिसके अन्दर प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग है,भगवान् भोलेनाथ की स्व-निर्मित पिंडी पर गुफा के उपरी भाग, जो चट्टानों से बना है, से पानी की अबिरल धारा इसप्रकार गिरती रहती जैसे प्रकृति स्वयं इस शिवलिंग का अभिषेक कर रही है।
गुफा मैं शिवलिंग तक जाने के लिए झरने के किनारे एक दुर्गम मार्ग से कुण्ड के किनारे-किनारे होकर जाया जा सकता है. हालांकि इस स्थान पर बदरवास और आसपास के लोग घुमने के लिए आते-जाते ही रहते हैं लेकिन 31 दिसम्बर 2016 तक रहस्यमय विचित्र शिव दर्शन की जानकारी किसी को नहीं थी।
Social Plugin