मैरिज गार्डन: लाखों की कमाई, हाईकोर्ट के आदेश हवा में, नहीं है कोई भी रजिस्ट्रेड

कोलारस। जिले के कोलारस नगर पंचायत क्षेत्र मेंं चल रहे मैरिज गार्डन और शादी विवाह समेत अन्य आयोजन करवाने वाले विभिन्न सामाजिक संस्थान नगर परिषद से पंजीकृत नहीं है। बल्कि यह मैरिज गार्डन जनमानस के लिए सुविधा नही दुविधा बने हुए है। सफाई, सुरक्षा, सुविधा के नाम पर सिर्फ मोटी रकम वसूल कि जा रही है। जो सिर्फ मैरिज गार्डनो के लिए आय का साधन बनी हुई्र है। मैरिज गार्डन संचालको ने शासन के सारे नीयम कायदे खूटे पर टांग कर अपने फायदे कि रोटी सेकने में लगे है।

दरअसल, शहर में एक के बाद एक कई आयोजन स्थल खुल गए हैं। एक तरह से यह इनका व्यवसायिक उपयोग हो रहा है। नियमानुसार इन स्थलों का नगर परिषद में रजिस्ट्रेशन जरुरी है। इन स्थलों पर आयोजन के बाद कचरा और अन्य अपशिष्ट सडक़ पर ही फेंक दिया जाता है। जिसे परिषद के कर्मचारी ही साफ करते हैं। 

साथ ही गाडिय़ां पार्किग के लिए आधा दर्जन से ज्यादा मैरिज गार्डनो में सुविधा भी नही जिससे शादी समारोह के दौरान हाईवे किनारे जाम जैसे हालत निर्मित हो जाते है। साथ ही हादसो का खतरा बना रहता है बिना पार्किंग के बिना सीसीटीव्ही कैमरो के मैरिज गार्डनो से आसानी से वाहन चोरी जैसे घटनाए आसानी से हो जाती है। ऐसे में मैरिज गार्डनो को खुलेआम संरक्षण देना प्रशासनिक मंशा पर कई सवाल खड़े कर रहा है।

पिछले वर्ष भी नगर परिषद की ओर से ऐसे आधा दर्जन स्थलों को नोटिस देकर उनके रजिस्ट्रेशन संबंधी दस्तावेज मांगे थे साथ ही साथ ही अवैध मैरिज गार्डनो पर कोलारस द्वारा कार्यवाही कि गई थी। लेकिन कार्यवाही के कुछ दिनो बाद ही प्रशासन के कुछ ठेकेदारो ने हाई कोर्ट के आदेश को हवा कर दिया और बिना जनसुविधा बाले मैरिज गार्डनो को हरि झंडी दे दी गई। जो पूर्णता सोचनीय विषय है। 

खुद लाखों कमाते हैं, पर नही कराते रजिस्टेशन
मैरिज गार्डनो के संचालक आयोजकों से किराए के नाम पर लाखों कमाते हैं। इनका एक से दो दिन का किराया 70 हजार से एक लाख तक का है। कुछ संचालक इसका कोई रिकॉर्ड भी नहीं रखते। और बिना किसी षासकीय अनुमती के अवैध रूप से मैरिज गार्डनो का संचालन किये हुए है। साथ ही हाई कोर्ट के आदेष कि खुलेआम अवहेलना करने में लेेगे है। ऐसे में यह स्थानीय निकाय की आय का अच्छा माध्यम बन सकते हैं। जबिक इनसे मिलने वाला शुल्क स्थानीय निकाय की आय में शामिल है। प्रदेश के विभिन्न शहरों में इनसे रजिस्ट्रेशन शुल्क लिया जाता है। 

नगर परिषद में मैरिज गार्डनो के दर्ज होने के होंगे विभिन्न फायदे
नगर परिषद ने सालाना एक र्निधारित रजिस्ट्रेशन शुल्क जमा करवाने के बाद नगर परिशद कि आय में बडा़ैतरी होगी। साथ ही प्रत्येक आयोजन पर अलग से शुल्क के साथ इसमें और भी इजाफा होगा। परिषद की इस कवायद से केवल उसकी आय बढ़ेगी बल्कि कोई भी अपनी मर्जी से ऐसे स्थल नहीं खोल सकेगा। 

सबसे बड़ी बात यह है कि ये आयोजन स्थल आयोजकों से मोटी रकम वसूलते हैं। इसके बाद भी शासन द्वारा जारी गए मापदंडो का पालन नही किया जाता। आयोजन के बाद अपने यहां का कचरा और अपशिष्ट सडक़ पर ही डाल देते हैं। जिस पर आईजीटी का प्रतिबंध है। जिसकी सफाई के लिए परिषद के कर्मचारियों को काम करना पड़ता है। ऐसे में आयोजकों के लिए भी जरुरी है कि वे पंजीकृत स्थल को ही किराए पर लें।

इनका कहना है-
आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। यह मामला नगर परिषद से जुड़ा है। पिछले वर्ष भी शिकायत के बाद हमने कार्यवाही कि थी जब मैरिज गार्डन संचालको ने कुछ हद तक हालत सुधारे थे जिसकि रिर्पोट भी आई थी लेकिन अगर फिर से वही हालात निर्मित है। और माननीय न्यायलय के आदेशो का उलंघन हो रहा है। जल्द ही मामले कि जांच कराकर वैधानिक कार्यवाही कि जाएगी।
आर के पांडे, कोलारस एसडीएम