सीईओ नेहा मारव्या ने बेतुकी टीप डाल दी

शिवपुरी। 2011 बैच की आईएएस अफसर नेहा मारव्या शायद नियम कायदे और दायरे भूल गईं हैं। इसीलिए उन्होंने मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान एक आवेदन पर ऐसी बेतुकी टीप लिख दी कि अब उनकी प्रशासनिक समझ पर ही सवाल उठने लगे। 

हुआ यूं कि एक सरकारी कर्मचारी लंबित मामले से तंग आकर इच्छामृत्यु की मांग करने उनके पास आ पहुंचा। नेहा मारव्या मामले की गंभीरता को समझ नहीं पाईं और उन्होंने उसे टालने की कोशिश की। कर्मचारी अड़ गया कि या तो मेरी समस्या का समाधान करो या फिर इच्छामृत्यु की स्वीकृति दे दो। सीईओ नेहा मारव्या ने उसके आवेदन पर अजीब सी टीप लिख डाली। उन्होंने एसपी शिवपुरी को संबोधित करते हुए लिखा 'कृपया विनोद श्रीवास्तव के विरुद्ध IPC/CRPC के तहत कार्यवाही की जाए, इनके द्वारा जनसुनवाई में अपने व अपने परिवार के लिए इच्छामृत्यु की मांग की गई है।'

बस इसी टीप ने सीईओ नेहा मारव्या की समझ पर सवाल खड़े कर दिए। बता दें कि इच्छामृत्यु की मांग करना IPC/CRPC के तहत कोई गुनाह नहीं है। कोई भी व्यक्ति इच्छामृत्यु की मांग करने के लिए स्वतंत्र है। लोग आए दिन सामूहिक रूप से राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की मांग करते हैं। यह दीगर बात है कि भारत में इच्छामृत्यु देने का प्रावधान नहीं है, कुछ दूसरे देशों में ऐसे प्रावधान हैं और भारत में कई बार इस संदर्भ पर बहस हो चुकी है। सवाल यह उठता है कि आईएएस अफसर होने के बावजूद 'इच्छामृत्यु' के संदर्भ में सीईओ नेहा मारव्या अल्पज्ञान उनकी प्रशासनिक क्षमताओं पर भी सवाल उठाता है। जिस अफसर को सामान्य ज्ञान की जानकारी नहीं है, उससे आप विशिष्ठ प्रशासनिक फैसलों की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। वो तो शुक्र है कि उन्होंने एसपी को FIR के लिए लिखा, यदि वो गुस्से में इच्छामृत्यु की मंजूरी दे देतीं तो...? 

उन्हे समझना चाहिए कि लोग जनसुनवाई में अपने कष्टों का निवारण खोजने आते हैं। नई समस्याओं की तलाश में नहीं। मंगलवार के दिन यदि वो किसी की मदद नहीं कर सकतीं तो उसे दर्द भी ना दें। आईएएस होने का अर्थ भगवान हो जाना नहीं होता। आप शक्तिशाली हो सकते हो परंतु कानून आपका गुलाम नहीं हो जाता। इस तरह की टीप एक नागरिक के मानवाधिकारों का हनन है। पद का दुरुपयोग और पीड़ित को बेवजह धमकाकर चुप कराने की आपराधिक कोशिश है। यदि मामला मानवाधिकार न्यायालय में चला गया तो परेशानी हो जाएगी।