सबसे ज्यादा मानव अधिकारो का हनन जेल में, भेड-बकरी की तरह बंद है कैदी

सतेन्द्र उपाध्याय @पोस्टमार्टम/शिवपुरी। मानव अधिकारो का हनन वैसे तो कई जगह देखने को आता है। परन्तु शिवुपरी जेल में प्रदेश में सबसे ज्यादा मानव अधिकारो का हनन हो रहा है। यहां एक-दो नही बल्कि लगभग तीन सैकड़ा मानवो के अधिकारो का हनन हो रहा है। यह हम नही सरकारी आंकडे ही कह रहे है। 

जैसा कि विदित है कि शिवुपरी जेल में 135 कैदियो के रहने खाने और सोने की क्षमता है। लेकिन शिवपुरी की जेल में क्षमता से दो गुनी से ज्यादा बंदी बंद होने के आकडे आते रहे है। जिससे जेल में बंद बंदियो को रात में सोने में काफी परेशानी आ रही है। 

आकंडो पर गौर करे तो शिवुपरी जेल की 135 पुरूष और 7 महिला बंदियो क्षमता है। लेकिन शिवपुरी उपजेल में इस समय 283 पुरूष कैदी बंद है और 12 महिलाए और उनके साथ 3 बच्चे भी कुल मिलाकर यह आंकड़ा 295 होता है बच्चो को छोडकर। 

करवट बदलने हो जाती है लडाई
शिवपुरी जेल में क्षमता से दोगने बंदी होने के कारण रात में बंदियो को एक दूसरे की विपरित दिशा में सोना पडता है इस कारण रात में नीद मे कोई बंदी करवट बदलता है आपस में लडाई हो जाती है। 

जेल में भ्रष्टाचार: कुछ ऐश में कुछ रोष में 
जानकारी आ रही है कि जेल में सबसे ज्यादा पैसा रात में सुख नीद के लिए लिया जाता है। बताया जा रहा है कि पैसे देने वाले कैदी को जेल प्रशासन रात सोने के लिए अलग से व्यवस्था करता है। खाने पीने की व्यवस्था के  लिए रिश्वत तो आम है आपने भी सुनी होगी। लेकिन सुख भरी नीदं की रिश्वत ली जाती है। 

हांलाकि शासन द्वारा नई जेल बड़ौदी पर बन रही है। लेकिन सन 2005 में इस जेल का निर्माण शुरू हो गया था लेकिन आज तक यह जेल बन नही पाई है। इसका शुरूआती बजट लगभग 6 करोड रूपए था लेकिन अब वह बढकर 14 करोड रूपए हो गया है। इस जेल की बंदी क्षमता 300 बताई जा रही है।   

इनका कहना है-
बैसे तो पूरे प्रदेश में की जेलों में कैदियों की सं या क्षमता से ज्यादा है। लेकिन सं या तीन गुनी होना तो गंभीर विषय है। अब अगर इस कारण से कैदियों को दिक्कत आ रही है तो मानवअधिकारों का हनन है। हम इसको दिखबाते है।
श्री सिरसौदिया जी
एडीशनल डायरेक्टर मानवाधिकार आयोग भोपाल