4 विशेषज्ञ डॉक्टर रिटायर: ICU में ताला, डायलिसिस मंशीन बंद, अफरा-तफरी का महौल

शिवपुरी। कितने शर्म की बात है कि पिछले 1 माह से शिवपुरी की मीडिया जिस अशंका को स्पष्ट कर रही थी, वह आज शहर को एक गंभीर परेशानी बन गई है। सरकारी आकंडे मे प्रदेश का नं. 1 घोषित अस्पताल में आज कोई भी विशेषज्ञ डॉक्टर नही है। 

शिवपुरी की मीडिया लगातार प्रकाशित कर रही थी कि -
जिला अस्पताल में मेडीकल विशेषज्ञ के रूप में डॉ. पीडी गुप्ता, डॉ. सीएम गुप्ता, डॉ. डीके बंसल और डॉ. रत्नेश जैन पदस्थ थे। इनमें से सबसे पहलेे डॉ. पीडी गुप्ता और डॉ. डीके बंसल ने स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति का नोटिस दिया और फिर इस कड़ी में डॉ. सीएम गुप्ता भी जुड़ गए। 

तीन-तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों के स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति के नोटिस से डॉ. रत्नेश जैन अपने पर अतिरिक्त भार पडऩे की आशंका के कारण बीआरएस लेने पर मजबूर हो गए और उन्होंने भी स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन भर दिया था और कल से उन्होने भी अस्पताल आना बंद कर दिया।  

आईसीयू में लगा ताला 
आईसीयू भी आज दोपहर 2 बजे से बंद कर दिया जाएगा। आर्ईसीयू के चार मरीजों को मेडीकल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। आईसीयू में तालाबंदी होने के कारण हृदयरोगियों के जीवन पर सकंट खडा हो सकता है। 

किडनी रोगियों के इलाज की नही है व्यवस्था
विशेषज्ञ डॉक्टरों के बीआरएस से अस्पताल में किडऩी रोगी भी उपचार नहीं प्राप्त कर सकेंगे। अभी जिला अस्पताल में बीपीएल मरीजों को नि:शुल्क डायलेसिस की सुविधा है जबकि एपीएल मरीजों से महज 500 रूपए लिए जाते है। जबकि प्राइवेट क्लीनिक में डायलिसिस की दर दो हजार रूपए प्रति मरीज है। अस्पताल में प्रतिदिन 10 मरीज डायलिसिस के लिए आते हैं, लेकिन अब डायलिसिस यूनिट बंद होने से किडनी रोगियों को आर्थिक और मानसिक संकट का सामना करना पड़ेगा।

कुल मिलाकर चारो डॉक्टरो की बीआरएस लेने की मामला 1 माह पूर्व ही संज्ञान में आ गया था। कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने डॉक्टरो का समझाने का प्रयास भी किया लेकिन वह सफल नही हो सके। इस मामले को शिवपुरी के प्रभारी मंत्री और मप्र शासन के स्वस्थ्य मंत्री रूस्तम सिंह के संज्ञान में भी लाया गया था लेकिन शासन स्तर से भी इस अस्पताल के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरो की कोई व्यवस्था नही की गई। स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुददे पर सरकार की यह निष्क्रियता कई सवालो को जन्म देती है।