कुपोषण का कलंक तत्कालीन कलेक्टर राजीव दुबे के माथे

शिवपुरी। कुपोषण पर इस समय पूरे प्रदेश में हल्ला मच रहा है कांग्रेस प्रदेश से जारी आकंडो को गलत बता कर नए आकडे पेश कर रही है। कांग्रेस ने कुपोषण को जिम्मेदार सरकार को बताया है, लेकिन शिवपुरी में समाजसेवियों ने कुपोषण का ठीकरा पूर्व कलेक्टर राजीव चंद्र दुबे पर फोड़ दिया है। वो श्री दुबे की कार्यशैली को कुपोषण का कारण बता रहे हैं। साथ ही नए कलेक्टर को जता भी रहे हैं कि उन्हे तवज्जो देना कितना जरूरी है। 

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विगत दिनों समाजसेवी संगठनों ने होटल पीएस रेसीडेंसी में बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष राघवेन्द्र शर्मा का शिवपुरी में पहली बार आने पर भव्य स्वागत किया गया था। समाजसेवी संगठनों के माध्यम से हुए इस स्वागत में राघवेन्द्र शर्मा को शिवपुरी जिले की वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुए अनिल जैन एलआईसी द्वारा इस बात का खुलासा किया गया था कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार नहीं बंट रहा जिस पर तात्कालिक कलेक्टर राजीव दुबे द्वारा उसी समय विरोध दर्ज कराते हुए इस बात को सिरे से नकार दिया गया था। 

चुप्पी साधकर मौन व्रत धारण करते हुए उस समय तो अनिल जैन मंच से नीचे आ गए थे, लेकिन आज उनकी बात का परिणाम जिले में कुपोषण की भयाभय स्थिति को देखते हुए साफ नजर आ रहा है कि वह अपनी जगह सही थे। 

अनिल जैन ने इस कार्यक्रम के दौरान राघवेन्द्र शर्मा को इस बात से अवगत कराया था कि आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार नहीं बंट रहा है और तीन-तीन माह तक इन केन्द्रों पर राशन नहीं पहुंच रहा। यह बात तात्कालिक कलेक्टर राजीव दुबे को नागवार गुजरी और उन्होंने उसी समय खड़े होकर इस बात को सिरे से खारिज किया। 

जिसके चलते अनिल जैन को पूरी बात कहने का मौका नहीं मिला और वह शर्मिंदगी महसूस करते हुए मंच से नीचे उतर आए। कलेक्टर दुबे के कार्यकाल में जो भी कार्यवाही हुई वह किसी से छुपी नहीं है। उन्होंने कभी भी किसी समाजसेवी संगठन को कोई तबज्जो नहीं दी और हमेशा उनका यही कहना रहता था कि समाजसेवी संगठन अपना कार्य कर रहे हैं और हमें अपना कार्य करना है। 

ना उन्होंने कभी समाजसेवी संगठनों की बातें सुनी और न ही उनके साथ संयुक्त रूप से मिलकर कोई कार्य किया जिसका परिणाम यह हुआ कि समस्त समाजसेवी संगठन तत्कालिक कलेक्टर श्री दुबे से कट गए और मंत्री यशोधरा राजे द्वारा उन्हें एकत्रित करने की कोशिश की गई तब भी वह प्रशासन से नहीं जुड़ पाए और आज स्थिति यह है कि गांव-गांव में कुपोषण भरा पड़ा है। कोलारस क्षेत्र से प्रतिदिन सैंकड़ों कुपोषित बच्चे इलाज के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती हो रहे हैं। 

आंगनवाड़ी केन्द्रों की कार्यप्रणाली पर लगा प्रश्रचिन्ह
कुपोषण को दूर करने के लिए और बच्चों की अच्छी सेहत बनाने के लिए गांव-गांव आंगनवाड़ी केन्द्र खोले गए हैं, परंतु बच्चों की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। इस बात से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आंगनवाड़ी केन्द्र किस तरह से कार्य कर रहे हैं। अधिकारी भी अपनी मनमर्जी से कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में न तो अनाज पहुंच रहा और न ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता। 

क्या नए कलेक्टर लेंगे समाजसेवियों की मदद
प्रतिदिन कुपोषण से आने वाले मरीजों की संख्या में होने वाले इजाफे से जिले में जो स्थिति बनी हुई है उसे देखते हुए सरकारी एजेंसियां छोटी जान पड़ रही हैं। ऐसी स्थिति में नवनियुक्त कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव इन समाजसेवी संगठनों की मदद लेंगे अथवा वे भी सरकारी एजेंसियों के माध्यम से कुपोषण को दूर करने में तत्कालिक कलेक्टर दुबे की कार्यशैली को ही अपनाएंगे।