सरपंच से मंदिर की जमीन को मुक्त कराने बागी हुए थे: दद्दा मलखान सिंह

शिवपुरी। योगी फिल्म इंटरटेंमेंट के बैनर तले बनी फिल्म दस्यु सम्राट बागी दद्दा मलखान सिंह का फस्ट पोस्ट विमोचन आज एसपीएस अकेडमी में बीहड़ के मलखान सिंह के समक्ष किया गया। इस दौरान दस्यु सम्राट मलखान सिंह ने अपने जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि डकैत और बागियों में जमीन आसमान का अंतर होता है। 

बागी अपराधी नहीं होता वह समाज की प्रताडऩा से बंदूक उठाने के लिए मजबूर होता है और समाज में हो रहे अन्याय को समाप्त करने के लिए वह जीवन भर संघर्षरत रहता है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म सत्यता पर आधारित है। जो मेरे जीवन से जुड़ी हुई है। 

उन्होंने ऐसी फिल्मों की आलोचना की जिसमें डकैतों और बागियों को खलनायक बताया जाता है। जबकि उसकी बजह फिल्मों नहीं बताई जाती। उन्होंने शोले और पान सिंह तोमर का उदहारण देते हुए बताया कि जब उनके जीवन पर फिल्म बनाई गई थी तब वह जीवित नहीं थे। जिस कारण उनके जीवन से निर्देशक और निर्माता रूबरू नहीं हुए। 

ऐसी स्थिति में उक्त फिल्मों में खलनायक की भूमिका में दिखाया गया। जो गलत है। मेरे जीवन पर आधारित इस फिल्म में सबसे बड़ी बात यह है कि मैं स्वयं जीवित हूं और फिल्म के निर्देशक मुकेश आरके चौकसे ने मेरे जीवन के एक-एक पहलू पर अध्ययन कर उसको चित्रित किया है जिसमें वास्तविकता दिखाई गई है। 

कार्यक्रम में दद्दा मलखान सिंह को रौल अदा करने वाले अभिनेता और निर्देशक मुकेश आरके चौकसे नायिका पिंकी चौकसे सहित फिल्म में एसपी की भूमिका निभाने वाले अशोक ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद भार्गव, अलीम जी और निर्माता सतीश कुमार उपस्थित रहे। 

इस कारण हुए थे बागी दददा मलखान सिंह 
अभिनेता और निर्देशक मुकेश आरके चौकसे ने बताया कि भिंड के एक गांव में निवासरत किसान मलखान सिंह द्वारा रामजानकी मंदिर को दी गई जमीन पर वहां के सरपंच ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया जिसमें प्रदेश के तत्कालीन गृहमंत्री ने सरपंच का भरपूर सहयोग किया और मलखान सिंह पर झूठे मुकदमे दर्ज कराकर उन्हें जेल भिजवा दिया। 

जिससे नाराज होकर मलखान सिंह ने मंदिर की भूमि को मुक्त कराने के लिए बंदूक उठाकर बीहड़ में जा कूंदे और बागी बन गए। उनका यह संघर्ष चलता रहा और अंत में तात्कालीन मु यमंत्री अर्जुन सिंह और सांसद राजीव गांधी ने उन्हें मंदिर की जमीन वापस दिलवाई और उन्हें आत्मसमर्पण कराया इसके बाद मलखान सिंह ने एक आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत किया जो आज खेती किसानी कर अपने परिवार को चला रहे हैं।