माधवराव ने 13 साल बाद अटलजी को हराकर उनका वादा निभाया

अशोक कोचेटा/शिवपुरी। वर्तमान में जिस तरह से कांग्रेस और भाजपा के नेताओं में विकास कार्यो का श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है। उसके ठीक विपरीत गुना इटावा रेल लाईन का विकास कार्य एक ऐसा कार्य है जिसका श्रेय स्व. माधवराव सिंधिया से कोई छीन नहीं सकता। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी ने सन् 1971 में ग्वालियर शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से गुना इटावा रेल लाईन मंजूर कराने का वायदा कर चुनाव जीता था। 

उस समय स्व. माधवराव सिंधिया और उनकी माँ राजमाता विजयाराजे सिंधिया अटलबिहारी बाजपेयी के साथ खड़ी थी लेकिन वह वायदा तो पूरा नहीं हुआ और सन् 1984 में स्व. माधवराव सिंधिया ने अटलबिहारी बाजपेयी को ग्वालियर के रणक्षेत्र में पराजित कर चुनाव जीता और इसके बाद बनी इंदिरा गांधी सरकार में उनकी रेल राज्यमंत्री पद पर ताजपोशी हुई और रेल राज्य मंत्री बनने के बाद स्व. सिंधिया ने सबसे पहले गुना इटावा रेल लाईन को मंजूरी दिलाई। उनका यह अकेला विकास कार्य सैकड़ों विकास कार्यों पर भारी है। 

सन 1971 में बंगलादेश विजय के पश्चात देश में इंदिरा गांधी की लहर जबर्दस्त तरीके से चल रही थी, लेकिन ग्वालियर संभाग में सिंधिया परिवार का प्रभाव यथावत कायम था और स्व. राजमाता विजयाराजे सिंधिया तथा उनके सुपुत्र स्व. माधवराव सिंधिया कांग्रेस विरोध में भारतीय जनसंघ का ध्वज थामे इंदिरा गांधी लहर को रोकने में अपने इलाके में तत्पर थे। 

उस समय हवा को पहचान कर अटलबिहारी बाजपेयी ने अपनी परंपरागत सीट बलरामपुर से चुनाव न लडऩे का निर्णय लिया और राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने उन्हें ग्वालियर शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव लडऩे के लिए आमंत्रित किया। 

जबकि गुना से स्व. माधवराव सिंधिया भारतीय जनसंघ के टिकिट पर ही चुनाव मैदान में खड़े हुए। उस चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री बाजपेयी ने शिवपुरी में गांधी चौक पर आयोजित आमसभा में जनता को भरोसा दिलाया कि यदि वह चुनाव में विजयी रहे और उनकी सरकार बनी तो सबसे पहला काम वह गुना इटावा रेल लाईन को मंजूर कराने का करेंगे। 

उस चुनाव में इंदिरा लहर के बाबजूद गुना और ग्वालियर सीट से माधवराव सिंधिया और अटलबिहारी बाजपेयी जीतने में सफल रहे, लेकिन कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बनीं। चुनाव जीतने के बाद जब आभार व्यक्त करने के लिए अटलबिहारी बाजपेयी शिवपुरी आए तो उन्होंने आमसभा में जनता से उनके दल की सरकार न बनने पर खेद व्यक्त किया और कहा कि इस स्थिति में वह गुना इटावा रेल लाईन को मंजूर नहीं करा पायेंगे, लेकिन उन्होंने बायदा किया कि जब कभी भी उनके दल की सरकार बनेगी और केन्द्रीय सरकार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी तो वह इस महत्वपूर्ण योजना को अवश्य स्वीकृति दिलायेंगे। 

सन् 1977 में जब आपातकाल के पश्चात देश में जनता पार्टी की सरकार बनी और कांग्रेस को बुरी तरह पराजय का सामना करना पड़ा तो उस समय की मोरार जी देसाई सरकार में अटलबिहारी बाजपेयी को विदेश मंत्री पद से नवाजा गया और रेल मंत्री मधुदण्डवते बने। उस चुनाव में स्व. माधवराव सिंधिया निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। 

स्व. सिंधिया को अटलजी का बायदा याद था। इसलिए सरकार बनने के बाद वह शिवपुरी के गणमान्य नागरिकों के प्रतिनिधि मंडल को लेकर दिल्ली पहुंचे। उस प्रतिनिधि मंडल में स्व. बल्लभदास मंगल, कस्तूरचंद, स्व. धर्मचन्द कोचेटा, स्व. मिन्टूलाल अग्रवाल, स्व. वीरचन्द कोचेटा आदि शहर के अनेक गणमान्य नागरिक थे। स्व. सिंधिया के नेतृत्व में इस प्रतिनिधि मंडल ने पहले अटलजी से भेंट कर उन्हें अपने वायदे की याद दिलाई, लेकिन अटल जी ने कहा कि वह विदेश मंत्री हैं, रेलमंत्री नहीं इसलिए बायदा करने की स्थिति में नहीं है। 

यदि मैं प्रधानमंत्री या रेलमंत्री बना तो इस योजना को अवश्य स्वीकृत कराऊंगा। एक तरह से उनका कथन इन्कार करने जैसा ही था। इसके बाद भी श्री सिंधिया हताश नहीं हुए और उन्होंने अपने प्रतिनिधि मंडल को रेलमंत्री मधुदण्डवते से मिलवाया परन्तु हुआ कुछ नहीं। इसके बाद समय बदला। स्व. माधवराव सिंधिया कांग्रेस में शामिल हो गए। 

चुनाव के पूर्व अपने अंगरक्षकों के हाथों इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी बने और राजीव गांधी ने चुनाव में विपक्ष के मजबूत नेताओं को चुनौती देने के लिए एक रणनीति बनाई। उस रणनीति के तहत स्व. हेमवतीनंदन बहुगुणा को पटकनी देने के लिए अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद भेजा गया। स्व. राजमाता के भरोसे अटल जी आश्वस्त थे कि ग्वालियर से वह कांग्रेस लहर के बाबजूद राजमाता के प्रभाव के कारण चुनाव जीत जायेंगे। 

लेकिन राजीव गांधी ने  स्व. माधवराव सिंधिया को उनकी परंपरागत सीट गुना से हटाकर अटलबिहारी बाजपेयी का मुकाबला करने के लिए ग्वालियर भेजा। उस चुनाव में स्व. माधवराव सिंधिया ने अटल जी जैसे मजबूत और दमदार प्रत्याशी को पौने दो लाख मतों से बुरी तरह पराजित किया। 

उस चुनाव के बाद स्व. माधवराव सिंधिया का राजनैतिक कद अचानक बढ़ गया और वह राजीव गांधी की सरकार में रेल राज्य मंत्री बनाए गए। रेलमंत्री बनने के बाद स्व. माधवराव सिंधिया ने सबसे पहले गुना इटावा रेल लाईन को मंजूरी दिलाकर तथा काम शुरू कराकर इस इलाके में विकास की एक नई इबारत लिखी।