किस्सा बैराड नगर पंचायत का, इससे तो ग्राम पंचायत ही अच्छी थी

बैराड़। नगर पंचायत बने पूरे दो साल बीत गये लेकिन अभी तक ऐसा कोई कार्य जनता के सामने नहीं आया जो कि नगर बैराड वाले यह गर्व कर सकें की हम नगर पंचायत से है, और तो और इस नगर पंचायत में आठ गांव जुड़े है। 

जिन गावों में तो अभी तक कोई सुविधा नहीं दी गई बल्की इन आठ गावों में किसी ग्रामीण को अभी तक इस नगर पंचायत के बारे में पूछा जाए तो ये भोले भाले ग्रामीण इस बारे में कोई जानकारी नही बता सकते यहां तो केवल एक ही सीन बना है।

जी हा ऑफिस-ऑफिस का खेल जिसमें किरदार है पार्षदगण गौर नगर पंचायत बनाये गये नये कर्मचारी जिनके पास कोई भी व्यक्ति किसी काम को लेकर जाए तो वही खेल शुरू होता है। ना तो कोई नगर पंचायत का बोर्ड लगा है ना कोई जन सुविधा का कार्य किया है। 

यहा नगर पंचायत में अगर अपना कोई कार्य करना है तो अपनी जुगाड लगाओं और पूरा काम कराओ इसका नाम जुगाड पंचायत होना चाहिये ऐसा कुछ लोग दबे शब्दों मे कहने लगे है। 

क्योकि अभी तक बैराड नगर पंचायत में दो सीएमओ बदल चुके है। पहले पर दूसरा सीएमओ भारी पड़ा और अपनी बैराड सीट पक्की कर अपना फुल बर्चस्व बना लिया जिससे अपना फुुल रोल कायम करते हुये जहां जिस कर्मचारी को रखना है या नहीं, या फिर नया कोई कर्मचारी रखना है। वह उसे रख लेते है। 

ऐसे उदाहरण बैराड नगर पंचायत में बहुत देखने को मिल जाएगा। जैसे ट्रेक्टर चालक, फायर ब्रिग्रेड ड्रायवर इनकी किसी को कोई जानकारी न होते हुये भी नगर पंचायत के ड्रायवर बन चुके है। ऐसे और भी कर्मचारी है जो  कही न की कार्यवाही के हकदार है। अब आगे देखना है कि प्रशासन इस पूरे माजरे का किस प्रकार हल निकालेगा।

पानी की टंकी बनी शो पीस
पीने के पानी के लिये नगर बैराड में तीन टंकी बनी हुई है। लेकिन पानी के नाम पर उनमें कीचड़ भरी पड़ी है। जो पहले ग्राम पंचायत के टाइम पर तो कभी कभार पानी दे दिया करती थी लेकिन जब से नगर पंचायत बनी है तब से खाली पड़ी है।

हर वार्ड में कीचड़ बनी राहगीरों की मुसीबत
यहा लगभग सभी वार्डो में बारिश के पानी से गंदगी फैली हुई है। जो गुजरने वाले राहगीरों की मुसीबत बनी हुई है। लेकिन नपं. इस तरफ  कोई ध्यान नही दे रही है। 

और गंदा पानी भरा होने से उसमें मच्छर पनपते है। जिससे घरों में बच्चों को काटने के कारण मलेरिया, डेंगू जैसे भयानक बीमारिया फैल रही है। ये कैसी नगर पंचायत है।