नपा में बेंच खरीदी घोटाला: 10 को विज्ञापन छपा, टेंडर 8 को ही हो गए

शिवपुरी। नगर पालिका शिवपुरी में 118 बेंच खरीदी मामले में 10 लाख से अधिक का भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। बाजार मूल्य से 7 हजार रूपए प्रति बेंच की अधिक दर से खरीदी की गई है। इस मामले में खास बात यह है कि इन बेंचो की सप्लाई की टैंडर कॉल का विज्ञापन 10 नवंबर को प्रकाशित कराया गया जबकि टेंडर 8 तारीख को ही खोल दिया गया। नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा का आरोप है कि सप्लाई कुल 82 बेंचों की हुई, परंतु भुगतान 118 बेंचों का किया गया है। 

यही नहीं पीआईसी ने 8 लाख की 53 बेंचें खरीदने की स्वीकृति दी थी, लेकिन नियमों का उल्लंघन करते हुए 10 लाख रूपए मूल्य की 65 बेंच खरीद ली गई। खास बात यह है कि इस मामले में भ्रष्टाचार प्रथम दृष्टि में ही उजागर हो रहा है। अखबार में टेंडर विज्ञप्ति 11 नवंबर 2015 को प्रकाशित की गई। 

जबकि उसी विज्ञप्ति में टेंडर खरीदी की दिनांक 8 नवंबर 2015 बताई गई है। नगर पालिका रिकॉर्ड में 118 बेंचों की खरीद का उल्लेख है, लेकिन मुख्य नगर पालिका अधिकारी रणवीर कुमार 118 बेंचों की खरीद बता रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में लोकायुक्त में भी जांच शुरू हो गई है और इससे नपा अधिकारियों में हडक़ंप व्याप्त है। 

मामले की शुरूआत 15 फरवरी 2015 से शुरू हुई जब स्वास्थ्य अधिकारी ने नोटशीट लिखी कि सार्वजनिक स्थलों, पार्कों और बस स्टेण्ड पर आम नागरिकों के सुविधा की दृष्टि से बैंचें लगाई जाना है अत: बैंचों की खरीद की जाए। इस नोटशीट पर सीएमओ ने 22 मई को हस्ताक्षर किए और फिर पीआईसी ने 8 लाख रूपए मूल्य की 53 बैंचों को खरीदने का प्रस्ताव पारित कर दिया। 

इसके बाद ग्वालियर से प्रकाशित एक समाचार पत्र में नगर पालिका ने 10 नवंबर 2015 को विज्ञप्ति प्रकाशित की जिसमें ऑनलाईन टेंडर खरीद की दिनांक 8 नवंबर 2015 बताई गई। विज्ञप्ति निकालने के पूर्व तकनीकी स्वीकृति भी नहीं ली गई। 

बेंचों की खरीदी के लिए सांई इंटर प्राईजेज, केएस ग्रुप, शिवाजी ब्रदर्स और पूर्वी इन्फ्रा फर्म ने टेंडर डाले लेकिन अवैधानिक रूप से दो फर्मो ने लिखित रूप में नपा को अपना टेंडर न खोले जाने और एफडीआर वापस किए जाने का प्रस्ताव किया। जिसे स्वीकार कर 14850 की न्यूनतम दर पर सांई इंटर प्राईजेज की दर स्वीकृत की गई। 

जिसका भुगतान 7 लाख 87 हजार 850 रूपए किया गया। खास बात यह थी कि नगर पालिका और ठेकेदार के बीच संपादित अनुबंध पत्र पर सीएमओ के हस्ताक्षर नहीं थे जिसका संज्ञान ऑडिटर भदौरिया ने भी लिया। राशि का भुगतान 28 मार्च 2016 को हुआ। इसके बाद पीआईसी ने 1 अप्रैल 2016 को 10 लाख रूपए मूल्य की 70 बैंचों की खरीद का प्रस्ताव पारित किया गया। 

नियमानुसार पीआईसी स्वीकृत राशि में 10 या 20 प्रतिशत अतिरिक्त राशि को ही स्वीकृत कर सकती है, लेकिन 8 लाख रूपए में दुगने से अधिक 10 लाख रूपए की अतिरिक्त राशि बढ़ाना नियमानुसार नहीं है। नगर पालिका में 65 बैंचों की सप्लाई हुई। 

जहां तक बेंचों की कीमत का सवाल है तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी रणवीर कुमार का कहना है कि इसमें कुछ गलत नहीं है। 14850 की दर अन्य नगरीय निकायों के समान है, लेकिन बाजार मूल्य के हिसाब से उक्त बेंच की कीमत 8 हजार रूपए बतार्ई जा रही है। 

नगर पालिका ठेकेदार विजय शर्मा का कथन है कि वह 8 हजार रूपए प्रति बेंच की दर पर नगर पालिका को सप्लाई करने के लिए तैयार हैं। वहीं नगर पालिका उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा का दावा है कि बेंच नगर पालिका ने कुल 82 खरीदी हैं जबकि भुगतान 118 का हुआ है। 

उनका कहना है कि जो 118 बेंच सत्यापन कर बताई जा रही हैं उसमें सच्चाई यह है कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी तत्कालीन नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना के कार्यकाल में खरीद की गई बैंचों को भी वर्तमान खरीद में दर्शा रहे हैं। ठेकेदार ने बैंचों को स्टोर में जमा नहीं किया। बल्कि ठेकेदार तोमर के अनुसार नगर पालिका अधिकारी के निर्देशानुसार उसने बैंचें बताए गए स्थान पर रखवा दीं। 

सार्वजनिक स्थलों के स्थान पर नपाध्यक्ष और पार्षदों के घरों की शोभा बनी बैंचें
यह मामला इसलिए उछला क्योंकि नगर पालिका द्वारा सार्वजनिक स्थलों के लिए खरीद की गई उक्त बैंचों में से कुछ बैंचें नपाध्यक्ष और कुछ पार्षदों के निवास स्थान की शोभा बन गई। इसके बाद नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा ने सीएमओ को पत्र लिख कर कहा कि बैंचों के मामले में नगर पालिका की छवि धूमिल हो रही है।