जल संरचनाओं को मुक्त कराओ, बाजार को बर्बाद क्यों कर रहे हो

सतेन्द्र उपाध्याय/शिवपुरी। शहर में इन दिनों सबसे चर्चित मामला अतिक्रमण का है। जिसे लेकर प्रशासन द्वारा आम आदमी को टारगेट करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके चलते आम नागरिकों में दहशत पैदा हो गई है परंतु इस अभियान का सच कुछ और ही है। जिसे ताक पर रखकर प्रशासनिक मशीनरी ने शहर से उगाई का मूढ बना लिया है और सरेआम इस खेल में आम आदमी को टारगेट कर मोटी रकम वसूलने का आरोप लग रहा है।

शहर मे चल रही यह मुहिम किसी मंत्री या नेता की बजह से नही अपितु एनजीटी के आदेश से जलसंरचनाओं को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए चलाई जा रही है। इस मुहिम को लेकर शहर के युवा छात्र अभय जैन ने याचिका दायर की थी। जिसके चलते राष्ट्रीय हरित क्रांति द्वारा शहर की जल संरचनाओं को बचाने और अतिक्रमण से मुक्त कराने के आदेश शिवपुरी कलेक्टर को दिये। कलेक्टर ने उक्त आदेश पर नपा शिवपुरी को शहर की जलसंरचना को संरक्षित करने के आदेश जारी कर दिये। उसके बाद नपा और राजस्व की टीम ने कमर कसते हुए शहर में अतिक्रमण विरोधी मुहिम अज्जू गोयल के मकान से प्रारंभ की और पूरे जोर के साथ महज चंद घण्टों में ठण्डी सड़क के नाले के पास से अतिक्रमण को हटा दिया। 

यहां तक सबकुछ ठीक था। शहर में जलसंरचना को बचाने और उन्हें वापस पुराने स्वरूप में लाने के उद्देश्य से जो कार्रवाई की जा रही है, हम उसका खुला समर्थन करते हैं परंतु प्रशासन ने आनन-फानन में कोर्ट रोड़ पर बुलडोजर गरजा कर आम आदमी में कोर्ट के आदेश का हवाला देखर जो नाच नचा उससे शहर का हर नागरिक दहशत में आ गया। प्रशासन ने सिंधिया स्टेट के कागजों तक को सिरे से नकार दिया और देखते ही देखते चंद घण्टों मे कोर्ट रोड़ को साफ कर डाला। यह बात समझ से परे है कि कोर्ट रोड़ पर अतिक्रमण हटाकर प्रशासन ने कौन सी जलसंरचना को बचाया है। वहीं दूसरी और प्रशासन ने विष्णु मंदिर के नाले को जलसंरचना न मानते हुए इस मुहिम क्यों रोक दिया, समझ नहीं आया। 

राष्ट्रीय हरित क्रांति के आदेश से जल संरचनाओं पर हुए अतिक्रमण को ध्वस्त करने के लिए शुरू हुई यह मुहिम बाजार में आतंक बरपा रही है। नपा वाले जहां चाहे चूना डाल देते हैं और फिर शुरू होता है वसूली का खेल। जो लोग दफ्तर में 4 घंटे नहीं बिताते थे, आजकल 16 घंटे काम कर रहे हैं। पूरा अभियान कमाई का जरिया बन गया है। 

दो टूक बात सिर्फ यह है कि प्राकृतिक जल संरचनाएं चाहे वो नई हों या पुरानी, अतिक्रमण मुक्त होना चाहिए। फिर चाहे उन जल संचनाओं पर पानी आता हो या नहीं। मनियर में यदि सरकार ने तालाब को पट्टे पर दे दिया था तो भी अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए, लेकिन पट्टाधारियों को विस्थापन की सुविधा भी मिलना चाहिए। मुहिम तर्क सम्मत होना चाहिए। हौआ खड़ा करके, डर का कारोबार क्यों किया जा रहा है, जबकि जल संरचनाओं पर अतिक्रमण अब भी तना हुआ है और यह मामला अब कलेक्टर शिवपुरी के खिलाफ अवमानना की याचिका के लिए सामग्री बनता जा रहा है।