आत्मबोध मानव जीवन का परम लक्ष्य है : लाईंग योगी

शिवपुरी-मानवरूपी देह हरेक इंसान को भाग्य से मिलती है और इस मानव योनि में ही मोक्ष प्राप्ति का साधन है ऐसा नहीं है कि धर्म,कर्म, पुण्य करते जाओ और मोक्ष मिल गया, मोक्ष प्राप्त करने के लिए आत्मा का परमात्मा से मिलना परम आवश्यक है और यही आत्मबोध मानव जीवन का परम लक्ष्य है, हमारा उद्देश्य है कि मानव को इस लक्ष्य से परिचय कराऐं इसलिए प्रतिदिन खाना खाऐं तो प्रभु का आत्मा में ध्यान कर खाऐं, सोऐं तो प्रभु को अपनी अंतरात्मा में पाकर सोए और प्रतिदिन संध्या सत्संग करें यानि खाने-सोने से पहले आधा-आधा घंटा और उसके बाद 6 घंटे की नींद भी जब लें तो प्रभु से कहें हे प्रभु यह तेरा शरीर अब तुझे सौंपता हॅंू तू ही अब इसकी रखवाली कर इसके बाद जब अगली सुबह होती तो आप स्वयं अपने आपको उसी ऊर्जा और स्फूर्ति के साथ पाओगे। प्रभु और मोक्ष का यह मार्ग प्रशस्त किया दासानुदास लाईंग योगी श्रीराम मनोहर जी ने जो स्थानीय गांधी पार्क स्थित मानस भवन में ध्यान करने की विभिन्न विधियों क माध्यम से आत्मा का परमात्मा से मिलन होकर इस शरीर रूपी देह को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बता रहे थे। इस दौरान कार्यक्रम की शुरूआत अतिथिद्वयों पोहरी विधायक प्रहलाद भारती एवं अति.पुलिस अधीक्षक आलोक कुमार ने मॉं सरस्वती के दीप प्रज्जवलन के साथ की तत्पश्चात लायन्स साउथ के साकेत गुप्ता, जेपी चौधरी सहित अन्य गणमान्य नागरिकों द्वारा लाईंग योगी श्रीराम मनोहर जी का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। 

उज्जैन सिंहस्थ महाकुंभ में लगा है आनन्द योग पीठ
ध्यान विज्ञान परमार्थ संस्था के भानुप्रताप सिंह चौहान, दीपक अवस्थी व विक्रान्त सिंह चौहान ने संयुक्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि आत्मा का परमात्मा से मिलन करने और मोक्ष का मार्ग इसी संसार में इसी योनि में रहकर किस प्रकार प्राप्त किया जाए इसके लिए ध्यान विज्ञान परमार्थ संस्था के तत्वाधान में आनन्द योग पीठ शिविर लगाया गया है। जिसमें आगामी 22 अप्रैल से उज्जैन आयोजित होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ मेले में आनन्द योग पीठ के द्वारा आने वाले धर्मप्रेमीजनों की जिज्ञासाओं को दूर कर उन्हें ध्यान से जोडऩे के बारे में बताया जाएगा। 

जीवन जीने की कला है ध्यान 
ध्यानाचार्य श्रीराम मनोहर शर्मा ने अपने आर्शीवचनों में कहा कि ध्यान वह है जो हमें जीवन जीने की कला सिखाता है हम एकाग्रचित्त होकर ध्यान करेंंगे तो पाऐंगे कि ईश्वर और इस मानवरूपी देह एक समान है इसलिए कहते है कि इंसान के अंदर स्वयं परमात्मा है बस उसे जानने की आवश्यकता है, आनंद योग पीठ के माध्यम से हम एक कदम आध्यात्मिक क्रांति की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे है जिसमें ध्यान करना, ध्यान कैसे करना और 24 घंटे बिना काम रूके ध्यान में रहकर कार्य करने की कला सिखाई जाती है इसके अलावा विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान भी ध्यानाचार्य श्रीराम मनोहर जी द्वारा किया गया।