जलक्रांति: जरा ठहरिए, यह एक षडयंत्र भी हो सकता है

उपदेश अवस्थी @लावारिस शहर। जब से मैने होश संभाला है, शिवपुरी के इतिहास में यह पहली दफा है जब एक जन आंदोलन ने सीएम हाउस में हलचल मचा दी। शुरू शुरू में सबने इसे हल्के में लिया था, लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए नेताओं के सिर में दर्द भी बढ़ता गया। जो लोग कल तक शिवपुरी की पब्लिक को मूर्ख समझा करते थे, अब नतमस्तक होते नजर आ रहे हैं। इस आंदोलन में राजनीति का जो हश्र हुआ है वो काबिल ए तारीफ है।

ताजा खबर आई है कि यहां राजधानी में हुई एक उच्च स्तरीय मीटिंग में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शिवपुरी के जल संकट को 6 माह में समाप्त कर देने के निर्देश दिए हैं। सोशल मीडिया पर कुछ लोग जिनकी निष्ठाएं मातृभूमि से ज्यादा किसी व्यक्ति या विचारधारा के प्रति हैं, इस खबर को कुछ इस तरह प्रचारित कर रहे हैं मानो 'जलक्रांति' सफल हो गई। आदेश जारी हो गए। तंबू उखाड़ो, घर जाओ।

लेकिन जरा ठहरिए, कृपया ध्यान दीजिए। मप्र शासन की ओर से जो अधिकृत सूचना आई है उसमें स्पष्ट लिखा है कि 'मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए।' यह केवल निर्देश हैं, आदेश नहीं हैं। यदि निर्देश का पालन नहीं हुआ तो संबंधित ​अधिकारियों के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई नही होगी। दूसरी बात, यहां शिवपुरी का जलसंकट समाप्त करने हेतु निर्देश जारी करना बताया गया है, सिंध या जलावर्धन का जिक्र नहीं किया गया है।

पिछले 10 साल का रिकार्ड गवाह है शिवराज सिंह चौहान ने शासन के अधिकारियों को कई निर्देश दिए, लेकिन अधिकारियों ने पालन नहीं किया। कोई कार्रवाई भी नहीं हुई। गिनाने लग जाउंगा तो लिस्ट बड़ी लम्बी हो जाएगी।

कहना सिर्फ इतना चाहता हूं कि शिवपुरी पहली बार सही दिशा में आगे बढ़ रही है। जन आंदोलनों को खत्म कराने के लिए इस तरह की चालें सरकार पहले भी चल चुकी है। सफल भी रही है। अत: कृपया सोशल मीडिया के शातिर चालबाजों से सावधान रहें, मिल बैठकर चर्चा करें एवं उचित निर्णय तक पहुंचे, ताकि ठोस परिणाम मिल सकें।