जब गंजो में लग गई आग, तो पूरो को क्या बचाना राजे साहब

ललित मुदगल@एक्सरे/शिवपुरी। एक पुरानी कहावत है कि जब घास के गंजो में आग लग गई तो घास के एक-दो पूरो को बचाने के आग में हाथ नही डालने चाहिए, इस कहावत के कई अर्थ भी हो सकते है परन्तु यह कहावत शिवपुरी विधायक महोदय के एक निर्णय पर यह सटीक बैठती है।

मप्र शासन की कद्दावर मंत्री शिवपुरी की विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने शिवपुरी नगर में चल रहे सीवर प्रोजेक्ट का काम रूकवा दिया है। उन्होने यह निर्णय 24 मई का एक बैठक में लिया जो पीएचई को आज 27 मई को मिला और यह आदेश मिलते ही यह काम रूक गया है।

बताया गया है उन्होने यह निर्णय इस कारण लिया कि सीवर प्रोजेक्ट पर निर्माण कर रही कंपनी ने शिवपुरी की सड़कों को बीचों-बीच खोद दिया जिससे शहर के नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इस निर्णय की प्रतिक्रियाए आ रही है परन्तु कई सवाल भी सर उठा कर खडे हो रहे है कि पिछले 2 साल से इन सड़कों को खोदा जा रहा है वो भी बीचों-बीच तबसे विधायक महोदय ये सड़के क्यो नही दिखीं।

जब सीवर प्रोजेक्ट में फिजीकल क्षेत्र, होटल सौन चिरैया रोड से खिन्नी नाका रोड तक, छत्री रोड, फतेहपुर रोड़ आर्यसमाज रोड जलमंदिर रोड, शहर का हृदय स्थल माधव चौक, शहर का सबसे व्यस्तम रोड कोर्टरोड, और धर्मशाला रोड कुल मिलाकर सीवर प्रोजेक्ट से सारा शहर खोद दिया बस पुरानी शिवपुरी क्षेत्र ही रह गया है।

जब शहर के बाजार और शहर का हृदय स्थल माधव चौक की सडकों का खोद दिया गया है तो अब कोनसी सडकें बची जो राजे उन्है बचाने चली है। उनके आदेश से कंपनी ने काम रोक दिया।

कंपनी ने कल बताया है कि यह टेक्निकल मेटर है हम कनवेंस कर लेंगें परन्तु जनमानस का कहना है कि राजे कनवेंस नही हुई और काम यूं ही रूका रहा और एकाध साल काम रूका रहा तो जलावर्धन जैसी कहानी बन जाऐगी।

फिर सीवर प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी, जलावर्धन प्रोजेक्ट पर काम कर रही कर दोशियान कंपनी जैसे प्रोजेक्ट में देरी की वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट बढाने की मांग कर सकती है।

सीवर प्रोजेक्ट पर काम रूकने के कारण इस प्रोजेक्ट की कहानी ना बन जाए जो जलावर्धन की बन चुकी है। अभी तक इस प्रोजेक्ट पर 25 करोड रूपए खर्च हो चुके है। और वैसे ही यह प्रोजेक्ट अपनी स्वीकृती के सालों बाद शुरू हुआ है।

राजे साहब को इसके ट्रीटमेंट प्लॉट की एनओसी के लिए प्रयास करना चाहिए, कहीं यह प्रोजेक्ट भी एनओसी के फेर में ना उलझ जाए।

जनमानस का कहना है कि राजे साहब का इसकी गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए ना कि काम रूकबाने का। शहर की सड़के तत्काल बननी चाहिए थी परन्तु ऐसा हुआ नही।

इस कारण शहर की सड़कों का मामला हाईकोर्ट भी पंहुच चुका है और कोर्ट रोड पर हाईकोर्ट के आदेश पर ही पेंचवर्क संभव हुआ है। बाकी रोडो पर धूल के बादल छाए हुए है नागरिकों के फेंफडे धूल के गोदाम बन चुके है।  काम रूकवाने से कोई लाभ नही है, सडके खुदती हैं तो उन्है तत्काल बनबाने की व्यवस्था करनी चाहिए।