पढि़ए शिवपुरी के प्यासे नागरिको के लिए एक और बुरी खबर

शिवपुरी। शिवपुरी के प्यासे नागरिको को एक ओर बुरी खबर आ रही है कि सरकार अब जलावर्धन का काम ऐजेंसी नपा से बदलकर पीएचई कर रही है और इस कारण दोशियान कंपनी न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है। 

आठ साल पहले स्वीकृत शिवपुरी शहर के लिए सिंध जलावर्धन योजना के अब लटकने के आसार नजर आ रहे हैं। लगातार योजना के क्रियान्वयन में आ रही अड़ंगेबाजी के कारण यह महत्वपूर्ण परियोजना का काम लगभग दो वर्षों से बंद पड़ा है और सरकार तथा क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान कंपनी के बीच गतिरोध नहीं सुलझ रहा। 

दोनों अपनी-अपनी शर्तों पर योजना का क्रियान्वयन चाहते हैं। दोशियान कंपनी ने काम बंद कर रखा है और एक तरह से योजना के क्रियान्वयन में असमर्थता जाहिर कर दी है, वहीं शासन सूत्रों के अनुसार अब पीएचई को क्रियान्वयन एजेंसी बनाने की तैयारी में है और सूत्रों के अनुसार इससे जहां योजना का बजट तीस से चालीस प्रतिशत तक बढ़ेगा, वहीं दोशियान कंपनी न्यायालय की शरण में जाकर योजना के लटकने में सहायक बन सकती है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार 82 करोड़ रुपये की सिंध जलावर्धन योजना का लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। निर्मित होने वाली 13 टंकियों में से 11 बनकर तैयार हो चुकी हैं। शहर में वितरण लाइन डलने का काम अभी बाकी है, वहीं राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में लगभग छह किमी पाइप लाइन डलना शेष है। 

योजना के क्रियान्वयन में लगातार अड़ंगेबाजी आई। पहले राज्य और केन्द्र में अलग-अलग दलों की सरकार होने के कारण श्रेय की राजनीति के चलते योजना में बिलंब हुआ, वहीं नेशनल पार्क की अड़ंगेबाजी के कारण सिंध परियोजना का काम प्रभावित हुआ। 

नेशनल पार्क क्षेत्र में लगभग 400 से अधिक पेड़ों को काटे जाने की अनुमति न मिलने से उद्यान संचालक शरद गौड ने दो साल से योजना के काम को रोक दिया है। निरंतर विलंब होने के कारण सिंध जलावर्धन योजना का बजट बढ़ रहा है। 

यही शासन और क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान कंपनी के बीच विवाद का कारण है। दोशियान कंपनी का कथन है कि उसे समय के हिसाब से बजट में बढ़ोत्तरी मिलनी चाहिए। 

निश्चित समय अवधि में कार्य पूर्ण न होने के कारण योजना का बजट दोशियान कंपनी के अनुसार 82 करोड़ से बढ़कर 102 करोड़ तक पहुंच गया है और उसे यह अतिरिक्त राशि मिलनी चाहिए।

 वहीं दोशियान कंपनी का यह भी कथन है कि उसे आठ करोड़ रुपये का भुगतान काम किये जाने के बाद आज तक नहीं मिला है। इस रकम के भुगतान की मांग भी दोशियान कंपनी कर रही है। 

दोशियान कंपनी के संचालक रक्षित दोशी के अनुसार योजना में अड़ंगेबाजी उनकी ओर से नहीं, बल्कि शासन की ओर से है। नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई की अनुमति लेना शासन का विषय है। अनुमति न मिलने के कारण ही योजना के कार्य में विलंब हुआ और बजट में बढ़ोत्तरी हुई। 

श्री दोशी के अनुसार उसे बढ़ा हुआ बजट देने और लंबित आठ करोड़ का भुगतान देने में शासन द्वारा अनिच्छा जाहिर की जा रही है इसी कारण वह सिंध जलावर्धन योजना के काम को नहीं करना चाहते। काम शुरू करने के लिए कंपनी की शर्तों को पूर्ण करना होगा। 

लेकिन शर्तों को पूर्ण करने के स्थान पर सूत्र बताते हैं कि शासन क्रियान्वयन एजेंसी दोशियान कंपनी के स्थान पर पीएचई को बनाने की तैयारी में है और यदि ऐसा हुआ तो निश्चिततौर पर जहां योजना का बजट 30 से 40 प्रतिशत अधिक बढ़ेगा, वहीं दोशियान कंपनी के भी न्यायालय में जाने की आशंका है। 

दोशियान कंपनी के अनुसार योजना का कार्य उसके कारण नहीं, बल्कि शासन के कारण लटका है। न तो केन्द्र की अनुमति नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई के लिए समय पर ली गई और न ही उसका लंबित आठ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 

योजना के बढ़े हुए बजट की राशि भी उसे देने को शासन तैयार नहीं है। सूत्र बताते हैं कि इस आधार पर दोशियान कंपनी का विधि विभाग उस स्थिति में न्यायालय में जाने के लिए तत्पर है जब क्रियान्वयन एजेंसी पीएचई को शासन बनायेगा। 

अभी नहीं मिली है सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति
राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में पाइप लाइन डालने के लिए खुदाई की अनुमति अभी तक सर्वोच्च न्यायालय से नहीं मिली है। हालांकि एम पॉवर कमेटी ने खुदाई की अनुमति दे दी है और इसका श्रेय लूटने का प्रयास भी शुरू हो गया है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय से अभी खुदाई की अनुमति नहीं मिली है जिससे योजना का काम रुका हुआ है। 

शहर की वितरण लाइन न डलने से बढ़ रही हैं समस्याएं
शहर में 60 से 70 किमी वितरण लाइन डाली जानी है इस कार्य को प्रारंभ करने में कोई समस्या नहीं थी, लेकिन दोशियान कंपनी ने इसे लटकाकर रखा जिससे शहर की सड़कें  भी नहीं बन पा रही हैं। नेशनल पार्क क्षेत्र में खुदाई पर रोक के साथ ही दोशियान कंपनी ने पूरे काम को रोक दिया था जबकि वह चाहती तो शहर में वितरण लाइन डाल सकती थी और इससे शहर की सड़कों के बनने का मार्ग खुलता।