पढ़िए विधायक केपी सिंह का मोदी के नाम खुलाखत

शिवपुरी। जिले के पिछोर क्षेत्र के विधायक एवं पूर्व मंत्री केपी सिंह ने आज स्थानीय निज निवास पर आयोजित पत्रकारवार्ता के माध्यम से बताया कि आगे से जिला एवं ब्लॉक पंचायत प्रमुख के सभी चुनाव सीधे जनता के द्वारा कराए जाने चाहिए, इसके लिए श्री सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस समस्या के निदान के लिए सुझाव भी दिए।

श्री सिंह ने इस संदर्भ मेेें गत विधानसभा कार्यकाल के दौरान भी अपनी बात रखी थी लेकिन उन्होंने कहा कि मेरा विपक्षी सदस्य होने के कारण सदन में इस प्रस्ताव को पास नहीं किया गया, इसलिए प्रधानमंत्री से आग्रह है कि वह राजनीतिक आधार पर सोचने की जगह संसदीय राजनीति की पवित्रता और जबाबदेही सुनिश्चित करने की समवेत आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्ताव को मंजूर कराकर जनहित में प्रदान करें।

इस दौरान श्री सिंह के साथ प्रदेश कांग्रेस महामंत्री बैजनाथ सिंह यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष कांग्रेस श्रीप्रकाश शर्मा, अशोक भार्गव, अजय गुप्ता अज्जू, विजय सिंह चौहान, नपा उपाध्यक्ष अनिल शर्मा, नव निर्वाचित जनपद अध्यक्ष पारम सिंह रावत, बदरवास के नव निर्वाचित जनपद उपाध्यक्ष रामवीर सिंह यादव,नपाध्यक्ष कोलारस रविन्द्र शिवहरे, विजय चौकसे, चन्द्रप्रकाश शर्मा चंदू बाबूजी, जिनेश जैन आदि सहित अन्य कांग्रेसजन मौजूद थे।

पत्र में बताई अपनी पीड़ा
पूर्व मंत्री एवं विधायक के पी सिंह ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अपनी पीड़ा बताते हुए लिखा कि 73 वें संवेधानिक संशोधन के अनुपालन में लागू त्रिस्तरीय पंचायती राज को दो दशक से ज्यादा की अवधि मप्र में हो चुकी है और मैदानी स्तर पर मैं स्वयं और समाज का एक बड़ा तबका यह महसूस करता है कि इस अधिनियम के प्रावधानों की गुण-दोष के आधार पर समीक्षा होना ही चाहिए।

साथ ही यह सार्वजनिक सच है कि ब्लॉक/जनपद/प्रखण्ड एवं जिलापंचायत प्रमुख का पद आज भ नहीं बल्कि गत तीन चुनावों से बाहुबल एवं धनबल के जरिए हासिल होने वाले पद रह गए है। जिसमें जनता की सेवा और जन संघर्ष के जरिए सार्वजनिक पदों पर आने की परंपरा इन पदों के कारण बेमानी हो गई है।

सरकार का सूचना तंत्र जनता से मजबूत एवं प्रमाणित होता है इसलिए कहना गलत नहीं होगा कि जिला एवं ब्लॉक प्रमुख के पद एक तरह से खुलेआम नीलाम हो रहे है। श्री सिंह ने बताया कि जिला पंचायत के सदस्य 50 लाख से 1 करोड़ और जनपद पंचायत के सदस्यों को 5 से 10 लाख रूपये तक में खरीदा बेचा जा रहा है। ऐसे में पंचायती राज की पवित्र भावना नव धनाढ्यों और माफियाओं के आगे दम तोड़ रही है।