बडा सवाल: क्या दूर रहना होगा इन जातिवाद की फैक्ट्रियो और उनके मैनेजरो से

डॉ. एके मिश्रा। हमारे देश को आजादी यू ही नही मिल गई है हमारे देश भक्तो ने देश भक्ति की साधना की, घर छोडा केवल एक ही मंत्र बस आजादी, किमत कुछ भी चुकानी पडे। हमारी माटी के उन नेताओ के प्रयासो से उनकी सधाना से उनकी देश भक्ति से हम आजादी मिली है। उन्होने हमे विरासत में दिया देशप्रेम देश भक्ति की सीख। परन्तु अब बडा सवाल क्या उन्होने सोचा होगा कि ये हालात होगें इस देश के देश भक्ति की जगह अब जाति भक्ति...........

अब ये क्या हो रहा है पार्टी और नेता हो गये जातिवाद की फैक्ट्री,अधिकतर देखने को यह मिल रहा है कि सभी पार्टियां अपने उ मीदवार को जातिगत आधार पर खड़ी कर रही है और ये उ मीदवार आपस में हिंदुओं और मुस्लिमों में बंटवारा कर रहे है जब कोई उ मीदवार किसी विशेष जाति का होता है तो अपने वर्ग के व्यक्तियों से अपनी जाति की दुहाई देकर वोट मांगता है जैसे ब्रा हण है तो ब्रा हणों से अपील करता है कि तुम मेरे जाति भाई हो तुम मुझे ही वोट डालना इसी तरीके से ठाकुर अपने वर्ग से, राठौर अपने वर्ग से, कुशवाह अपने वर्ग से और मुस्लिम अपनी कौम से वोट मांगता है कि तुम हमारे कौम के हो मुझे ही वोट डालना आदि.......

इस तरीके से सभी पार्टियां अपने-अपने नजरीये से सभी वर्ग के लोगों को वोट डालने के लिए रिझाते है, किन्तु इससे समाज और देश को कितना नुकसान होगा इसके बारे में कभी नहीं सोचते कोई अल्पसं यक पर नजर रखे हुए है तो आजमखान जो सिर्फ शहिदो में सिर्फ मुस्लिमो को ही याद करते है  उनकी शहादत को याद कर रहे हैं और खुद भूल गये कि अगर कोई हिन्दुस्तानी फ ौज में भर्ती हुआ है उसकी छााति पर गोली जाति को पूछ कर नही आती है।

कोई इन नेताओ से पीछे हमारी माटी भी खाने के लिए अन्न जाति को जानकर अपनी छाती को फाड कर नही उगाती है,हमारी नदियां कुए बाबडी भी पानी कौम को पूछ कर उनकी प्यास नही बुझाता है। सर्दी गर्मी ठंड भी जाति को देखकर अहसास नही कराते ये तो प्रकृति है ये तो भेदभाव कर ही नही सकती,हमारे डॉक्टर की दवाईया भी जाति पूछ कर फायदा नही देती है।

लेकिन मेरा ये मानना है कि हमारा देश अंग्रेजो से तो आजाद हो चुका है परन्तु उनकी मानसिकता से नही,इसका ठोस प्रमाण है कि हमारे राजनीतिक पार्टिया और नेता सिर्फ अपने फायदे के लिए ही जातिवाद का दिमक समाज में छोंड रखा है।

अगर थोड़ा इतिहास पलटे तब महाराणा प्रताप ने अपनी वीरता को प्रदर्शित करते हुए न झुकने एवं न समर्पण और देश भक्ति की की प्रेरणा दी। हालांकि वह इतिहास में आज भी है, लेकिन उनके वंशज कहलाने वाले जिन्हें लोह पीटा के नाम से जाना जाता है मूलत: वह चित्तौडग़ढ़ का खुद को बताते है और आसानी से देश भर में देखे जा सकते है। शयद ही इस जाति के बारे में कोई नेता सोचता हो। क्यो की ये जाति घूमक्ड है और ये वोट नही डालती,शायद इस कारण ही कोई नेता और पार्टी इनकी और ध्यान नही देता है। ये इन जातिवाद फैलाने वाली फैक्ट्रीयों के किसी काम की नही है।

अभी ओबामा भी इस देश मे खतरा संप्रादायिकता को बता गए है ऐसा नही है कि  वे अमेरिका के राष्ट्रपति है वो जो कह दे वो सत्य हो पर संप्रादायिकता हमारे देश की आर्थिक तरक्की को पीछे कर रही है विकास से दूर ले जा रही है।

हमारे देश में कोई पार्टी मण्डल आयोग लागू करती है, तो कोई कमण्डल, तो कोई साहब मुस्लिमों के मसीहा कहलाते है और वोट के लिए सभी हदें पार कर देते है कोई जाति के नाम वोट मांगता है तो कोई धर्म के नाम पर तो कोई स प्रदाय के नाम पर वोट मांगता है। अब हमे इन जातिवाद की फैक्ट्रियों व उनके मैनेजर से दूर रह कर सिर्फ देशधर्म,देशप्रेम के बारे में ही सोचना है जिस दिन सवासौ करोड भारतीयो का धर्म देशधर्म हो जायेगा और जाति भारपीयता हो जाऐगी तो उस दिन यह देश विश्व में न बर एक होगा और सं पन्नता विकास और वो सब कुछ होगा जिसके हम सपने देखते है।