शिक्षा विभाग मे प्रमोशन घोटाला: नियमों का हुआ गैंगरेप

शिवपुरी। शिक्षा विभाग में शिक्षाविभाग शिवपुरी ने वर्ष 2012 में जारी की पदोन्नति सूची नियमो को गैंगरेप कर ऐसे 78 अपात्र यूडीटी को हेडमास्टर बना दिया,जो नियम विरूद्व है,इस मामले की शिकायत विभाग के किसी कर्मचारी ने कमिश्रर को की थी।

और इस मामले की परते और जब खुली  जब कमिश्नर संभागायुक्त के आदेश पर जिला पंचायत सीईओ द्वारा बनाई गई दो सदस्यीय जांच कमेटी ने 28 जनवरी को पहली बैठक की। और 78 ऐसे यूडीसी पकड में आए जो नियम विरूद्व हैडमास्टर बने है।

नियम विरुद्ध हेडमास्टर बनाने के इस खेल में उस समिति के सदस्यों पर गाज गिरना तय मानी जा रही है, जिन्होंने सूची बनाई। दो साल से प्रधानाध्यापक बनकर शासन से अधिक वेतन अन्य सुविधाएं ले रहे कर्मचारी वापस यूडीटी बनेंगे, साथ ही उनसे रिकवरी भी हो सकती है।

खास बात यह है कि पूर्व डीईओ श्री अहिरवार के समय में भी ऐसे 8 यूडीटी को पदोन्नति दी गई। यानि जिले में यह खेल काफी समय पूर्व से खेला जा रहा है। अब इस मामले को लेकर कमेटी सदस्य डीईओ आमने-सामने आकर एक-दूसरे को जि मेदार ठहरा रहे हैं।

शिक्षा विभाग ने इस नियम को किया गैंगरेप
सरकारके गजट नोटिफि केशन में स्पष्ट उल्लेख है कि यूडीटी के पद पर रहते हुए तीन वर्ष का समय पूरा होने के बाद ही पदोन्नति दी जाए। जबकि जांच में जो 78 नाम सामने आए हैंए उन्हें यूडीटी बनने के 6 माह से लेकर 2 वर्ष 8 माह में ही प्रमोशन दे दिया गया।

डीपीसी पर कार्रवाई तय, हुआ था लेनदेन
जिन 78 यूडीटी को हेडमास्टर बनाया गया, उस डीपीसी में अशोक श्रीवास्तव, मुकेश मेहता, रोहित एवं सीबी पांडेय, शामिल रहे। इस कमेटी ने ही पदोन्नति सूची जारी की थी, इसलिए जांच रिपोर्ट के बाद उक्त लोगों पर ही कार्रवाई होगी। क्योंकि ऐसा मानना है कि जिन लोगों को प्रमोशन मिला, उनकी कोई गलती नहीं है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि कमेटी ने प्रमोशन सूची में नाम जोडऩे के बदले में यूडीटी ने मोटी रकम खर्च की थी।

इस तरह के प्रमोशन तो पहले भी हुए हैं
डीईओ कार्यालय से तो सिर्फ यह जानकारी दी जाती है कि कितने पद रिक्त हैं और कितनी पदोन्नति की जानी हैं। बाकी पूरा काम तो डीपीसी डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी, के सदस्य ही करते हैं। प्रमोशन की सूची भी वे लोग ही बनाते हैं तो फि र डीईओ क्यों जि मेदार होंगे। इस तरह के प्रमोशन तो पहले भी हुए हैं। अभी हाल ही में संजय श्रीवास्तव को भी महज ढाई साल में पदोन्नति दे दी गई।
बीएलदेशलहरा, डीईओ शिवपुरी

हमने तो सीआर देखी, बाकी तो डीईओ देखते हैं
'मैं हर कमेटी में सदस्य रहता हूं। जहां तक प्रमोशन सूची वाले मामले की बात है तो हम यूडीटी की सीआर देखते हैं, बाकी रिकार्ड तो डीईओ कार्यालय से उपलब्ध कराया जाता है। उस समय जो नियम रहे, उनका पालन किया गया, अब दो साल पहले की बात याद भी नहीं है। लेकिन जो हुआ वो डीईओ ऑफिस के स्थापना विभाग से ही किया गया।
अशोक श्रीवास्तव, डीपीसी सदस्य

पहली बैठक में 78 अपात्र के नाम सामने आए
जांच कमेटी की पहली बैठक अभी हाल ही में हो गई। जिसमें 78 ऐसे यूडीटी के नाम सामने गएए जिन्हें महज 8 माह से लेकर 2 वर्ष 8 माह की समयावधि में ही प्रमोशन दे दिया गयाए जबकि नियमानुसार 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा होना चाहिए। जल्द ही दूसरी बठक करके जांच रिपोर्ट फायनल बनाकर संभागायुक्त को भेज दी जाएगी।
शिरोमणि दुबे, जांच कमेटी सदस्य