पढ़िए श्योपुर मीडिया को क्या कुछ बताया मुक्त हुए मैनेजर ने

शिवपुरी। श्योपुर तके हुई पत्रकारवार्ता में डाकुओं के चंगुल से मुक्त हुए मैनेजर जयपाल खलको ने बताया कि 13 दिसम्बर को 7 हथियारबंद डकैतों ने श्रमिक तुलसी आदिवासी और उसका अपहरण कर लिया था, लेकिन बाद में श्रमिक तुलसी आदिवासी को डकैतों ने अपने चंगुल से मुक्त कर दिया था और उसे डकैत जंगलों में ले गए थे। जहां उसे डकैतों ने जंगलों में घुमाया उसके बाद बदमाशों के दो सदस्य जंगलों में और मिल गए।

इस तरह गिरोह में 9 सदस्यों में तब्दील हो गया। जिनमें से 8 के पास बंदूकें थीं और 1 के पास कट्टा था। इंजी. खलको ने कल रात के घटनाक्रम को स्पष्ट करते हुए बताया कि रात्रि करीब ढाई बजे पुलिस फोर्स गसमानी के पास से गुजर रहा था। तभी पुलिस की लाइट हम लोगों पर पड़ी तो डकैत हड़बड़ाहट में उसे वहीं छोड़कर जंगल में समा गए। जब पुलिस जवानों ने उससे पूछा तो उसने अपना नाम जयपाल खलको बताया। जिस पर पुलिस ने उसे अपने साथ ले लिया।

सब्जी रोटी के साथ चिकिन भी खिलाते थे डकैत
जयपाल खलको ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि डकैतों को रसद आसानी से उपलब्ध हो जाता था और उनके 2 सदस्य रसद की व्यवस्था में भी रहते थे। उनके पास पिट्टू बैग थे जिनमें वह खाने-पीने का सामान स्टॉक करके रखते थे और उसे प्रतिदिन सब्जी रोटी खिलाई जाती थी और उसे चिकिन भी बनाकर खिलाई जाती थी।

पहली बार डेढ़ दिन तक पैदल चलाया
खलको ने बताया कि उसका अपहरण करने के बाद डकैतों ने लगभग डेढ़ दिन तक उसे भूखा-प्यासा रखकर पैदल चलाया। डकैत जंगली क्षेत्र में कम रहते थे जबकि वह रोड के किनारे अधिक चलते थे और उसे बदमाशों ने रोड के किनारे ही छोड़ा है। खाना वह कहां से लाते थे या खुद बनाते थे उसे नहीं पता।

वास्तविक नामों के स्थान पर बड़ा च पो और छोटा च पो के नाम से पुकारते थे डकैत
डकैतों के चंगुल से छूटे जयपाल खलको ने बताया कि डकैतों की पहचान उन्हें नहीं है। क्योंकि वह अपने वास्तविक नामों से एक-दूसरे को नहीं बुलाते थे। कहीं बड़ा च पो छोटा च पो तो कहीं बड़ा बॉस छोटा बॉस के नाम से एक-दूसरे को पुकारते थे। जिस कारण वह 11 दिनों तक उनके साथ रहने के बावजूद भी उनकी पहचान नहीं जान पाया।

बगैर गोली चलाए दबाव में छूटी पकड़
श्योपुर एसपी जेएस कुशवाह का कहना है कि रात्रि में वह पुलिस टीम गसमानी क्षेत्र में सर्चिंग कर रही थी। जहां उन्हें झाडिय़ों में किसी के आने की आवाज सुनाई दी। जिस पर लाइट डाली गई और डकैतों को ललकारा। जिस पर डकैत घबरा गए और खलको को छोड़कर वहां से भाग गए। श्री कुशवाह का कहना है कि न तो डकैतों की ओर से कोई फायरिंग हुई और न ही पुलिस की ओर से और बिना गोली चलाए ही डकैतों ने डर के मारे अपहृत को छोड़ दिया।