भरी ठंड में भी पानी को तरसे शहरवासी

शिवपुरी। वर्षों से पेयजल समस्या से जूझ रहे शहर के लोग अब पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। अभी तक गर्मियों में ही पानी की समस्या रहती थी, लेकिन अब सर्दियों में भी लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।

और नगरपालिका बिना नेतृत्व के मूकदर्शक बनी हुई है। शहर के अधिकांश बोर बंद हो चुके हैं और कुछ बचे बोरों में पानी का स्तर कम हो गया है जो कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएगा। ऐसी स्थिति मेें शहर के हालात बिगडऩे का अंदेशा भी है।

विदित हो कि 2007 में सिंध परियोजना की सौगात शहर को मिली थी जिससे शहरवासियों को आशा थी कि उन्हें जल्द ही पेयजल समस्या से निजात मिल जायेगी, लेकिन यह योजना भ्रष्टाचार और राजनीति की भेंट चढ़ गया जिस कारण सात वर्ष बाद भी योजना अधर में लटकी है और नगरपालिका ने करोड़ों रुपये का भुगतान ठेकेदार कंपनी को बिना काम किये ही कर दिया है।

अब दोशियान कंपनी सिंध परियोजना के काम में दिलचस्पी नहीं ले रही है। सात वर्षों में सिंध परियोजना अधूरी होने के कारण नपा ने शहर में पेयजल समस्या से शहरवासियों को उबारने के लिए टेंकरों की व्यवस्था की, लेकिन वह भी सिर्फ कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार तक सीमित रह गई।

जिसकी परिणिति यह है कि शहरवासी पानी की एक-एक बूंद के लिए भटक रहे हैं। शहर के कमलागंज, सईसपुरा, बड़ा बाजार पुरानी शिवपुरी, लालमाटी, फतेहपुर, इन्दिरा कॉलोनी, विष्णु मंदिर के पीछे, ठण्डी सड़क, महल सराह, ठकुरपुरा, फक्कड़ कॉलोनी सहित अनेक स्थानों पर लोग पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं और कट्टियां लेकर दूर-दूर से पानी लाने को मजबूर हैं।

अभी तक तो गर्मियों में यह समस्या आती थी, लेकिन अब सर्दियों में भी यह समस्या और प्रबल हो गई है। सुबह से लेकर रात तक लोग पानी की व्यवस्था में जुटे हुए हैं।

नपाध्यक्ष ने भी जनता का छोड़ा साथ
7 दिसम्बर को नपा अध्यक्ष का चुनाव हुआ और भाजपा की अध्यक्ष श्रीमती रिशिका अनुराग अष्ठाना के पांच वर्ष का कार्यकाल के कारण भाजपा को नपाध्यक्षी पद गवाना पड़ा लेकिन चुनाव परिणाम के बाद से लेकर शपथ ग्रहण तक भाजपा की अध्यक्ष का कार्यकाल बाकी है, लेकिन उन्होंने भी शहर की जनता का साथ छोड़ दिया, वहीं नवनिर्वाचित अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह नपा में हस्तक्षेप नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में शहरवासियों को पेयजल संकट के साथ-साथ अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।