पुलिस ने श्योपुर में पेश किया अपहृत मैनेजर, सवाल अभी बाकी हैं

शिवपुरी। अंतत: शिवपुरी समाचार का दावा सही साबित हो ही गया। डाकू घीसा बंजारा के हाथों अपहृत हुआ मैनेजर मुक्त हो गया। आज पुलिस ने उसे श्योपुर में मीडिया के सामने पेश किया। पुलिस ने कहानी कुछ फिल्मी बनाई है परंतु वो अपने ही जाल में उलझ गई है, इस मामले में एक और चौंकाने वाली खबर आ रही है। शीघ्र ही हम एक बड़ा खुलासा भी करेंगे।

फिलहाल समाचार यह है कि पाडरखेड़ा रेलवे स्टेशन से अपहृत किया गया मैनेजर आफीसियली मुक्त हो गया है। पुलिस ने आज उसे श्योपुर में मीडिया के सामने पेश किया। मैनेजर ने मीडिया के सामने वही पटकथा पढ़ी जो उसे रटाई गई थी। श्योपुर की मीडिया को भी इस मामले में कोई खास अभ्यास नहीं था अत: जैसी की प्लानिग थी, औपचारिकता पूरी हो गई।

इसी के साथ यह प्रमाणित हो गया कि शिवपुरी समाचार के सूत्रों का दावा सही था। मैनेजर को 20 दिसम्बर को ही मुक्त करा लिया गया था और इसी दिन पुलिस ने मैनेजर की पत्नि को भी अपने संरक्षण में ले लिया था, ताकि कहीं कोई बात लीक ना हो जाए। जब शिवपुरी समाचार ने अपहृत के मुक्त हो जाने की खबर प्रकाशित की तो निर्धारित रणनीति के तहत अपने कुछ मीडियाई मित्रों के माध्यम से इस खबर का खंडन कराया गया। एक बड़े अखबार में तो मैनेजर की पत्नि ज्योति का मध्यस्थ के माध्यम से आया बयान भी प्रकाशित हुआ और इसी बयान के साथ यह इशारा भी मिल गया कि मैनेजर की मुक्ति हर हाल में 25 दिसम्बर क्रिसमस के दिन से पहले दिखा दी जाएगी। अंतत: हुआ भी यही।

पुलिस क्या चाहती थी और क्यों उसने इस मुक्ति को छिपाए रखा, क्यों कहानी को अंतिम समय में बदला गया और मुक्ति का स्थान भी बदलकर दिखाया गया। क्यों डाकुओं के खिलाफ कोई आपरेशन नहीं हो पाया और क्यों डाकू सुरक्षित फरार हो गए। यह फिलहाल एक रहस्य ही है। इसके अलावा भी कई रहस्य हैं इस मामले में जिनका खुलासा होना बाकी है।

आरोप तो यह भी है कि पुलिस ने सुनियोजित तरीके से अपहृत मैनेजर को श्योपुर की मीडिया के सामने पेश किया, ग्वालियर या शिवपुरी की मीडिया से उसका सामना होने ही नहीं दिया, क्योंकि पुलिस अधिकारी जानते थे कि यदि मैनेजर को ग्वालियर या शिवपुरी की मीडिया के सामने पेश कर दिया गया तो मामले का पोस्टमार्टम हो जाएगा और असलियत सामने आ जाएगी।