छत्रपाल के मटके से लगेंगें कांग्रेस को झटके: सिंधिया की कार्यप्रणाली पर प्रश्र चिन्ह

शिवपुरी। कांग्रेस से बागी हुए छत्रपाल सिंह अपना मटके से कांग्रेस को झटका दे रहे है। उनका टिकिट कांग्रेस ना होने के कारण सांसद ज्योरिादित्य की कार्यप्रणाली पर सवाल भी खडा हो रहा है।

सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नगर पालिका अध्यक्ष के मामले में बिना किसी की रायमशविरा किए जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर जो निर्णय किया है वह स्वयं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति को आने वाले दिनों में प्रभावित करेगा।

लगातार दबाब की राजनीति से प्रभावित होते ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्णय जनमानस में खासी चर्चा का विषय बन गए है। यह दबाब खुद को सेफजोन में लाने के लिए सांसद महोदय करते है या वाकई जनप्रतिनिधियों की रसूखदारी से अपनी राजनैतिक बिछात बनाए रखने के लिए उन्हें आरक्षण की भी परवाह नहीं रहती, इसका फै सला भी इस चुनाव में होगा।

35 वर्षों से सिंधिया परिवार का झण्डा लेकर चलने वाले छत्रपाल सिंह गुर्जर के नाम को विचारणीय भी ना मानते हुए कांग्रेस के लोगों ने जो कार्यवाही की है वह निष्ठावान कार्यकर्ताओं के लिए चुनौती बन गई है।  छत्रपाल सिंह गुर्जर ने निर्दलीय चुनाव लडऩे का निर्णय करके चुनाव को रोचक बना दिया है और उनका चुनाव चिह्न मटका कांग्रेस प्रत्याशी मुन्ना लाल कुशवाह को ठीक उसी तरह झटका दे सकता है जैसा पिछले चुनाव में पदम नीलम चौकसे की चाबी ने नगर पालिका के द्वार रिशिका अष्ठाना के लिए खोले थे।

लेकिन इस बार हरिओम के द्वार खुलते है कि नहीं इसे अभी से कहना मुश्किल इसलिए है क्योंकि पब्लिक पार्लियामेन्ट एवं उससे जुड़े हुए अन्य सामाजिक संगठनों ने सिंधिया परिवार के  िालाफ बिगुल फूंक दिया है। जिनके साथ शहर का युवा वर्ग और बड़ी सं या में व्यापारी और बुद्धिजीवी लोग जुटना शुरू हो गए है। यदि वाकई आने वाली पीढिय़ों को दमा, श्वांस, टीबी, बबासीर जैसे गंभीर बीमारियों से बचाना है और मीडिया ने अपनी भूमिका शिवपुरी की जनता के हित में बिना किसी पूर्वाग्रह से अदा की तो जो निर्णय सामने होगा उसको आने वाली पीढ़ी भी स मान देगी।
मुन्ना लाल कुशवाह अपने पिछले पार्षद के चुनाव में एक हजार वोटों से हार थे। जिस परिवार के पूूंजीवाद की दम पर यह निर्णय हुआ है तो उस परिवार की पॅंूजी जब पार्षदी में काम नहीं आई तो अध्यक्षी में कैसे कारगर होगी इसका अंदाजा स्वत: लगाया जा सकता है।