करैरा में भाजपा और निर्दलीय के बीच हो सकता है कड़ा मुकाबला, फैसले का फ्राईडे

करैरा/शिवपुरी। दो बार नपं अध्यक्ष रजनी साहू और उनके पति पूर्व नपं अध्यक्ष कोमल साहू ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विजयश्री हासिल की। लेकिन इस बार कोमल साहू भाजपा उ मीदवार के रूप में अध्यक्ष पद के चुनाव मैदान में हैं। मुकाबले में 9 प्रत्याशी हैं, लेकिन कांग्रेस उ मीदवार वीनस गोयल के बावजूद संघर्ष कोमल साहू और दमयंती मिश्रा के बीच माना जा रहा है।

यह अवश्य चर्चा है कि कांग्रेस की कमजोर चुनौती का लाभ भाजपा को मिल रहा है वहीं दमयंती मिश्रा के पुत्र पुष्पेन्द्र मिश्रा की रासुका में गिर तारी भी उनके लिए फायदेमंद साबित हुई है। अल्पसं यक मतों के उनके पक्ष में अधिसं यक झुकाव से श्री साहू का पलड़ा भारी हुआ है, लेकिन इसके बाद भी चुनाव के 24 घंटे पूर्व परिणाम की भविष्यवाणी करना मुश्किल जान पड़ रहा है।

जहां तक करैरा के जातिगत समीकरणों का सवाल है। नगरीय क्षेत्र के 15 वार्डों में मुस्लिम मतदाताओं की सं या लगभग 3200, ब्राह्मण 2200, वैश्य वर्ग के 2000 मतदाता हैं। इसके अलावा यहां दलित मतदाता भी निवास करते हैं। जहां तक जातिगत मतों के ध्रुवीकरण का सवाल है पिछले दो चुनावों में मुस्लिम मतों का झुकाव निर्दलीय उ मीदवार होने के नाते कोमल साहू और उनकी पत्नी रजनी साहू को मिलता रहा था, लेकिन भाजपा से उनकी उ मीदवारी घोषित होने के बाद इन मतों के उनके पक्ष में जाने पर संकट के बादल छा रहे थे।

लेकिन अब सूत्र बताते हैं कि मध्यस्थता के जरिए विवाद सुलझ गया है। जिससे श्री साहू ने राहत की सांस ली है। चुनाव के बीच में निर्दलीय प्रत्याशी दमयंती मिश्रा के पुत्र पुष्पेन्द्र मिश्रा की रासुका में गिर तारी के मिश्रित परिणाम देखने को मिल रहे हैं। बताया जाता है कि पुष्पेन्द्र की गिर तारी से ब्राह्मण मतों का झुकाव निर्दलीय प्रत्याशी की ओर हुआ है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि इससे अन्य जातियों में विपरीत प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जिसका नुकसान निर्दलीय प्रत्याशी को होता दिख रहा है। मैनेजमेंट की राजनीति में उस्ताद पुष्पेन्द्र मिश्रा की गिर तारी से भी दमयंती मिश्रा का पक्ष कमजोर हुआ है। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी वीनस गोयल की कमजोर उ मीदवारी से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मुकाबला कोमल साहू और दमयंती मिश्रा के बीच होगा।

परंतु कोमल साहू को नुकसान उनके सजातीय वीरेन्द्र साहू की उम्मीदवारी से हो रहा है। वह उनके जातिगत मतों में सेंध लगा रहे हैं। इस चुनाव में श्री साहू हैट्रिक बनाने में सफल नहीं हुए तो इसका एक बड़ा कारण वीरेन्द्र साहू की उ मीदवारी को माना जाएगा। जहां तक कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन का सवाल है उनके पक्ष में व्यवसायिक वर्ग का एक धड़ा शामिल है। श्री साहू और पुष्पेन्द्र मिश्रा से असंतुष्ट लोग भी उन्हेें सहयोग कर सकते हैं। दलित मतदाताओं का झुकाव बसपा उ मीदवार की ओर होता दिख रहा है। जहां तक भाजपा की गुटबाजी का सवाल है। जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत की विरोधी लॉबी निर्दलीय प्रत्याशी दमयंती मिश्रा को समर्थन कर रही है। बुद्धिजीवी वर्ग का एक बड़ा हिस्सा कोमल साहू की उ मीदवारी के खिलाफ खड़ा दिख रहा है। ऐसी स्थिति में चुनाव के एक दिन पूर्व मुकाबला काफी खुला हुआ दिख रहा है।