ग्वालियर से अपहृत हुआ नवजात बालक शिवपुरी का ही निकला

शिवपुरी। कल सुबह फिलिकल क्षेत्र में लावारिस पडा मिला नवजात बच्चा जो ग्वालियर के कमलाराजा अस्पताल से अपहृत हुआ था वहां शिवपुरी के मनियर में रहने वाले दंपत्ति का ही निकला।

यह थी नवजात कि अपहरण की कहानी
शिवपुरी मनियर में रहने वाले बल्लू आदिवासी की पत्नी काजल को प्रसव पीड़ा होने पर 20 अक्टूबर को जिला अस्पताल शिवपुरी लाया गया। जहां से उसे ग्वालियर रैफर कर दिया गया। उसी रात में 8:30 बजे काजल ने ग्वालियर के कमलाराजा अस्पताल में बेटे को जन्म दिया।

तभी से यह परिवार बच्चे को साथ में लेकर ग्वालियर के कमलाराजा अस्पताल में था। बताते हैं कि शनिवार की रात लगभग आठ बजे जब बच्चे को लेकर उसकी दादी बैठी थी और मां सो रही थी, तभी सलवार सूट पहनकर आई महिला ने कहा कि बच्चे को टीका लगवाना है, इसलिए उसे लेकर जा रही हूं। लंबे इंतजार के बाद भी जब वह महिला नवजात को लेकर नहीं लौटी तो परिजन ने इसकी रिपोर्ट ग्वालियर के कंपू थाने में दर्ज कराई ।

ऐसे मिला शिवपुरी पुलिस को अपहत मासूम
फिजिकल चौकी प्रभारी प्रमोद साहू ने बताया कि सुबह लगभग 6 बजे पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिली थी कि टीवी टॉवर के पास एक लावारिस बच्चा सड़क किनारे पड़ा हुआ है। फिजिकल चौकी की चीता मोबाइल तत्काल मौके पर पहुंची और झाडिय़ों में से उठाकर बच्चे को जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया।

शिवपुरी पुलिस के पास ग्वालियर से गायब हुए बच्चे की सूचना पहले ही चुकी थी, इसलिए जब बच्चे के पैर में लगा एसएनसीयू ग्वालियर का टैग देखा तो उसमें मां का नाम काजल पिता का नाम बल्लू लिखा मिल गया।

जाको रखे साईया मार सके ना कोय
कल शाम को जब अपहत नवजात की मां काजल ग्वालियर पुलिस के साथ शिवपुरी आई तो उसने अपने बेटे को सीने से ऐसे लगया कि मानो कि उसका लाल कई वर्षो बाद मिला था। साथ में वार्ड में उपस्थित जनसुदाय चर्चा कर रहा था कि लावारिस हालत में छोडा गए नवजात के पास ना तो सुअर गए ना ही आवारा कुत्ते और 24 घंटे में नवजात वापस अपनी मां की सुरक्षित गोद में पहुंच गया। सही कहा जाता है, जिसकी रक्षा स्वयं भगवान करता हो उसको कौन मार सकता है।