शिवपुरी की रीना दीदी और पोहरी की विद्या दीदी लेंगी आर्यिका दीक्षा

शिवपुरी। जीवन के किसी भी पल में, वैराग्य उमड सकता है,संसार में रहकर प्राणी संसार को तज सकता है। संसार से वैराग्य दिलाने वाले इस प्रेरणादायक भजन की ये पंक्तियां तब हकीकत में चरितार्थ होती हुई नजर आयीं जब शिवपुरी की बाल ब्र हचारणी बहिन रीना दीदी और पोहरी की ब्र हचारणी बहिन विद्या दीदी ने गुरूवर श्रमणाचार्य विमर्श सागर महाराज के मंगल प्रवचन सुने और उन्हें सुनते ही संसार से वैराग्य उमड पडा।
इन दोनों ब्र हचारणी बहिनों के साथ 9 अन्य को अब आचार्य विमर्श सागर महाराज द्वारा आगामी 6 नव बर को उत्तरप्रदेश के बडौत नगर में आर्यिका दीक्षा दी जायेगी। खास बात यह है कि आगरा की 2 सगी बहिनों और अशोकनगर के एक द पत्ति और उनके बेटे की भी दीक्षा इस आयोजन के दौरान होगी। नवदीक्षार्थी 7 बहिनों की बिनौरी शुक्रवार को छत्री जैन मंदिर से प्रारंभ हुई और नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई बिनौरी वापस छत्री जैन मंदिर पहुंची जहां दीक्षार्थी बहिनों की गोद भराई रस्म को जैन समाज द्वारा अदा किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन संजीव बांझल द्वारा किया गया तथा मंगलाचरण रामदयाल जैन मावा वालों ने किया।

नवदीक्षार्थी की बिनौरी देखी और मन में उमडा वैराग्य
शिवपुरी के कृष्णपुरम कालोनी में निवास करने वाले शिवचरण लाल जैन (इंदार वाले) के घर 22 अगस्त 1977 को जन्मीं कु. रीना को धार्मिक संस्कार घर में ही अपने माता-पिता से ही मिले और फिर हायरसेकेण्डरी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद जब सन् 1998 में मुनि सौरभ सागर महाराज का चातुर्मास शिवपुरी में हुआ तो उस दौरान एक नवमुनि दीक्षार्थी की बिनौरी शिवपुरी में निकाली गयी थी बस इसी बिनौरी को देखकर रीना दीदी के मन में वैराग्य जागा और फिर 2007 में जब मुनिश्री विमर्श सागर महाराज का चातुर्मास शिवपुरी में हुआ तो उनके प्रवचन सुन संसार से विरक्ति हुई और फिर उनसे आजीवन ब्र हचर्य व्रत लिया और अब 6 नव बर को आचार्य विमर्श सागर जी द्वारा उन्हें आर्यिका दीक्षा दी जायेगी।

प्रवचन सुने और संसार से आई विरक्ति
सन् 1951 में पोहरी से सटे ग्राम सिरसौद में श्री चन्द्र जैन के घर जन्मीं विद्या दीदी ने मिडिल तक की शिक्षा ली और फिर 13 वर्ष की अवस्था में उनका विवाह पोहरी के सोमचन्द्र जैन से हो गया। अचानक सन् 1994 में उनके पति की मृत्यु हो गई बस इसके बाद विद्या दीदी का मन सांसरिक क्रियाओं से विलख होता गया लेकिन परिवार के तीन पुत्रों और दो बेटियों के लालन-पालन की जि मेदारी भी इन्हीं के कंधे पर थीं अत: सन् 2007 में जब मुनि विमर्श सागर महाराज का शिवपुरी आगमन हुआ तो उनके प्रवचन को सुन विद्या दीदी के मन में वैराग्य उमड पडा और उनसे आजीवन ब्र हचर्य व्रत ग्रहण कर अपनी संयम की आराधना प्रारंभ की और अब आगामी 6 नव बर को इनकी भी आर्यिका दीक्षा आचार्य विमर्श सागर द्वारा बडौत नगर में कराई जायेगी।

इनकी होंगी दीक्षाएं
आगरा की दो बाल ब्र हचारणी बहिनें श्वेता दीदी, नमीता दीदी, शिवपुरी से रीना दीदी, पोहरी से विद्या दीदी, कोटा से रेनू दीदी, अशोकनगर से कल्पना दीदी और ऐटा से टिंकल दीदी की आर्यिका दीक्षा होगी जबकि अशोकनगर से ब्र हचारी सुरेश भैया की क्षुल्लक दीक्षा, अशोकनगर में जन्में ऐलक विजेय सागर जी की मुनि दीक्षा और भिण्ड में जन्में क्षुल्लक विश्व पूज्य सागर जी की मुनि दीक्षा होने की संभावना है।